फ्रैंकलिन टेमपलटन डेट योजना:SC का सेबी को ई-वोटिंग प्रक्रिया के लिये पर्यवेक्षक नियुक्त का निर्देश, रिडेम्पशन पर लगी रोक जारी

न्यायालय ने इस कथन को रिकार्ड पर लिया जिसमे यह अनुरोध किया गया कि इन योजनाओं के समापन के मामले मे फ्रैंकलिन टेमपलटन को यूनिट धारको को मतपत्र रूप से उपस्थिति होकर मतदान का विकल्प उपलब्ध् कराना चाहिए
Franklin Templeton, Supreme Court
Franklin Templeton, Supreme Court

उच्चतम न्यायालय ने आज सेबी को निर्देश दिया कि वह इस साल समाप्त की गयी फ्रैंकलिन टेमपलटन डेट योजनाओं के संबंध में ई-वोटिंग प्रकिया की निगरानी के लिये पर्यवेक्षक नियुक्त करे।

न्यायालय ने कहा कि इस दौरान यूनिट धारकों द्वारा इसे भुनाने पाने पर लगाई गयी रोक जारी रहेगी।

न्यायमूर्ति अब्दुल एस नजीर और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ इससे पहले कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिये राजी हो गयी थी। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि फ्रैंकलिन टेमपलटन की छह डेट योजनाओं के समापन के फैसले में किसी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।

वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने आज दलील दी कि लघु निवेशकों के लिये सेबी के पास कोई स्पष्ट नीति नहीं है। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि कर्नाटक उच्च न्यायालय इस मुद्दे पर पहले ही विचार कर चुका है।

यूनिट धारकों की ओर से पेश एक अधिवक्ता ने न्यायालय से अनुरोध किया कि इन योजनाओं को समाप्त करने के सवाल पर फ्रैंकलिन टेमपलटन को यूनिट धारकों को डाक मतपत्र या प्रत्यक्ष रूप से उपस्थित होकर मत देने का विकल्प देना चाहिए। न्यायालय ने कहा कि वह इस पर विचार करेगा।

वरिष्ठ अधिवक्ता रवीन्द्र श्रीवास्तव ने सुझाव दिया कि यूनिट धारकों की बैठक में मतदान प्रक्रिया पर नजर रखने के लिये किसी स्वतंत्र प्राधिकार को नियुक्त किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात का भी जिक्र किया कि उच्च न्यायालय ने कहा था कि इस काम के लिये उच्च न्यायालय के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त किया जा सकता है।

इस पर वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा,

‘‘इस बैठक में सेबी का पर्यवेक्षक शामिल हो सकता है। सेबी एक वैधानिक संस्था है और इस संस्था पर किसी तरह के आक्षेप नहीं लगाये जा सकते हैं।’’

इसके जवाब में वरिष्ठ अधिवक्ता अरविन्द दातार ने कहा,

‘‘सेबी के पास इलेक्ट्रानिक वोटिंग की निगरानी करने की कोई दक्षता नहीं है।’’

इसके जवाब में सिंघवी ने कहा,

‘‘निश्चित ही एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के पास सेबी से ज्यादा दक्षता तो नहीं होगी।’’

ई-वोटिंग की निगरानी के लिये सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति के बारे में न्यायमूर्ति खन्ना ने कहा,

‘‘मतदान कराने वाले व्यक्ति अलग अलग स्थानों पर हो सकते हैं और न्यायाधीश किसी अन्य स्थान पर होंगे। ई- वोटिंग की रिकार्ड के साथ सत्यापन की आवश्यकता है। अत: सेवानिवृत्त न्यायाधीश को नियुक्त करने में यह परेशानी है।’’

न्यायालय ने अंतत: सेबी से कहा कि वह मतदान की प्रक्रिया की निगरानी के लिये एक पर्यवेक्षक नियुक्त करे। इस मामले में अब जनवरी के तीसरे सप्ताह में सुनवाई होगी।

कनार्टक उच्च न्यायालय ने 24 अक्टूबर को फ्रैंकलिन टेमपलन की छह डेट योजनाओं के समापन के बारे में बोर्ड आफ ट्रस्टीज के फैसले में हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया था। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि समापन प्रक्रिया शुरू करने से पहले नियमों के अनुसार यूनिट धारकों की सहमति लेनी होगी।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले के अमल पर छह सप्ताह के लिये रोक लगाना भी उचित समझा था। न्यायालय ने इस अवधि के दौरान इसके भुनाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। फ्रैंकलिन टेमपलटन को यह भी निर्देश दिया गया था कि अप्रैल और मई में इन योजनाओं को बंद करने के बारे में जारी नोटिस के आधार पर कोई भी कदम नहीं उठा फ्रैंकलिन टेम्पलटन येगा

फ्रैंकलिन टेमपलटन ने नौ नवंबर को इस मुद्दे पर मतदान कराने के लिये सेबी से अनुमति मांगी। हालांकि, सेबी ने 10 नवंबर को संपदा प्रबंधक को निर्देश दिया कि वह उच्च न्यायालय से भुनाने पर लगे प्रतिबंध के बारे में स्पष्टीकरण प्राप्त करें और यह भी जानकारी लें कि क्या मतदान प्रक्रिया पूरी होने तक ये योजनायें बंद रहेंगी।

इसके बाद ही कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले को चुनोती देने हुये उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर की गयी।

इस याचिका में सेबी से किये गये अनुरोधों और 30 नवंबर से दो दिसंबर के दौरान इलेक्ट्रानिक वोटिंग कराने के मकसद को रेखांकित किया गया था।

उच्चतम न्यायालय सुनवाई की पिछली तारीख पर इस मामले में विचार करने के लिेये सहमत हो गया था और उसने अपने आदेश में कहा था,

‘‘सेबी और अन्य की एक दूसरे के खिलाफ विशेष अनुमति याचिकायें रिकार्ड पर लायी जायें। इस बीच, सभी पक्षकारों के हितों को किसी भी तरह से प्रभावित किये बगैर ट्रस्टीज को एक सप्ताह के भीतर यूनिटधारकों की बैठक बुलाकर इस संबंध में उठाये जाने वाले कदमों की मंजूरी के लिये उनकी सहमति प्राप्त करने की अनुमति दी जाती है।’’

इस बीच, न्यायालय ने निवेशकों द्वारा इसे भुनाने पर रोक लगा दी।

भारत की नौवीं सबसे बड़ी निवेश करने वाली संस्था फ्रैंकलिन टेमपलटन ने अप्रैल में अपने निवेशकों को सूचित किया था कि वह करीब 28,000 करोड़ रूपए वाली अपनी छह योजनओं- फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, डायनेमिक एक्यूरल फंड, क्रेडिट रिस्क फंड, शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और इनकम अपॉर्चुनिटीज फंड को बंद कर रहा है।

फ्रैंकलिन टेमपलटन की इन योजनाओं को बंद करने के निर्णय से करीब तीन लाख निवेशक प्रभावित थे। कंपनी ने अपने इस निर्णय के लिये कोविड-19 की वजह से बान्ड बाजार में तरलता की कमी का हवाला दिया था।

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Franklin Templeton Debt Schemes: Supreme Court asks SEBI to appoint observer for e-voting process; stay on redemptions to continue

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