
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने नागरिकों द्वारा छोटी छोटी बात के लिये उचित मंच पर जाने की बजाये रिट अधिकार का इस्तेमाल किये जाने पर बहुत निराशा व्यक्त की है।
न्यायालय ने कहा कि उसके अंतर्निहित अधिकारों को बहुत ही सावधानी और संयम के साथ इस्तेमाल करना होता है और दूसरे मंचों से बचने के लिये इसका उपयोग नहीं करना चाहिए।
न्यायालय ने कहा, ‘‘ यहां हम यह कहने के लिये बाध्य है कि यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है कि छोटी छोटी बातों के लिये रिट अधिकार का इस्तेमाल किया जा रहा है, जैसे उच्च न्यायालय तहसील की अदालतें हैं।’’
न्यायमूर्ति जसवंत सिंह और न्यायमूर्ति राजेश भारद्वाज की पीठ हरियाणा के करनाल जिले के एक गांव के निवासियों की याचिका की सुनवाई कर रही थी। याचिका में गांव की सड़क की मरम्मत का काम तेजी से कराने के लिये न्यायालय से हस्तक्षेप का अनुरोध किया गया है। यह सड़क खोड़ा खेड़ी गांव से इंडियन ऑलय कार्पोरेशन टाउनशिप तक है।
याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा था कि इंडियन ऑयल कार्पोरेशन को सड़क की मरम्मत के लिये 21.27 लाख रूपए जमा कराने थे जो नहीं किये गये हैं। गांववालों ने अपने दावे के समर्थन में दो पत्र और 2012 का एक दस्तावेज पेश किया था।
पीठ ने हालांकि शुरू में इस रिट याचिका की विचारणीयता पर अपनी असहमति व्यक्त की लेकिन फिर न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की शिकायत का समाधान करने का प्रयास किया। तद्नुसार पीठ ने इंडियन ऑलय कार्पोरेशन के वकील को तलब कर इस बात से अवगत कराने के लिये कहा कि क्या इस सड़क की मरम्मत की जिम्मेदारी उसकी है और अगर हां, तो इसके लिये पैसा क्यों नहीं जारी किया गया।
इंडियन ऑयल कार्पोरेश ने पीठ को सूचित किया कि सड़क के लिये उसकी जिम्मेदारी नहीं है और इस बारे में सार्वजनिक निर्माण विभाग को लिखा गया पत्र पेश किया।
इस सड़क की मरम्मत की जिम्मेदारी को लेकर दो सरकारी निकायों - पीडब्लूडी और इंडियन ऑयल कार्पोरेशन के बीच विवाद पर टिप्पणी करते हुये न्यायालय ने कहा कि इस सवाल का फैसला करने के लिये जिला प्रशासन और या दीवानी अदालत ही उचित है।
न्यायालय ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 का इस्तेमाल जिला प्रशासन के कामकाज तक पहुंचने के लिये नहीं करा जा सकता है।
न्यायालय ने कहा, ‘‘ विधायिका ने अपने नागरिकों की प्रत्येक समस्या के समाधान के लिये कानून बनाये हैं, जिनका इन समस्याओं के समाधान के लिये इस्तेमाल किया जाना चाहिए।’’
न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुये कहा कि नागरिकों को अपनी समस्याओं के लिये उचित मंच पर जाना चाहिए।
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