उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को 2013 में दो साल की बच्ची से बलात्कार और हत्या के मुजरिम की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया।
न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति इन्दु मल्होत्रा और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने दोषी शत्रुध्न बाबन मेशराम को दोषी ठहराने का बंबई उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा। मेशराम इस बच्ची को उसके दादा जी से ले गया और फिर उससे बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर दी थी।
पीठ ने बच्ची की हत्या केजुर्म में दोषी की मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील कर दिया और बलातकार के अपराध में उसे 25 साल की बामशक्कत कैद की सजा सुनाई।
मुजरिम मेशराम पीड़ित के दादा के चचेरे भाई का बेटा था। पीड़ित बच्ची अपने दादा पुंडलिक के साथ थी जब मेशराम उनके पास आया और यह कहकर उसे अपने साथ ले गया कि बच्ची के पिता काम से लौट आयें हैं और उन्होंने ही उसे (मेशराम) पीड़ित को अपने साथ लाने के लिये भेजा है।
पीड़ित बच्ची के पिता कुछ धार्मिक कार्य में शामिल होने गये थे और वापस आने पर उन्हें बच्ची घर पर नहीं मिली। बच्ची के बारे में पूछे जाने पर पुंडलिक ने पिता को बताया कि आरोपी उसे अपने साथ घर ले गया था। पीड़ित के पिता, दादा और एक अन्य व्यक्ति श्रवण मेशराम गांव में बच्ची की खोज में निकले और अंतत: उन्हें एक आंगनवाड़ी की आधी निर्मित इमारत में बच्ची पड़ी मिली था। आरोपी भी मौके पर ही था। बुरी तरह जख्मी पीड़ित बच्ची के होंठों और गाल पर काटे दांत से काटने के निशान थे और उसके गुप्तांग में सूजन थी।
बच्ची को तत्काल ही डाक्टर के पास ले जाया जहां उसे मृत लायी गयी घोषित कर दिया गया। मेशराम पर बलात्कार, हत्या और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) कानून के तहत आरोप लगे और उस पर मुकदमा चला।
यवतमाल के सत्र न्यायाधीश ने मेशराम को आरोपों का दोषी पाया और उसे मौत की सजा सुनाई। बंबई उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 12 अक्टूबर 2015 को मुजरिम की सजा बरकरार रखी जिसके खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी।
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