अमेज़न को किशोर बियानी के नियंत्रण वाले फ्यूचर समूह और फ्यूचर कूपन्स, जिनके पास बिग बाजार और दूसरे खुदरा कारोबार का स्वामित्व है, के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई में सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सेन्टर के आपात मध्यस्थता में एक बड़ी सफलता मिल गयी है।
आपात मध्यस्थता ने अपने आदेश में कहा है कि प्रतिवादियों (फ्यूचर रिटेल और फ्यूचर कूपन्स) को रिलायंस, भारत में किसी भी संस्था या एजेन्सी के समक्ष कोई आवेदन दाखिल करने या उसे आगे बढ़ाने सहित, के साथ सौदे के संबंध में 29 अगस्त, 2020 के बोर्ड के प्रस्ताव पर आगे कोई भी कदम उठाने से रोका जाता है।
प्रतिवादियों को इस सौदे को उन कंपनियों के साथ पूरा करने की दिशा में कोई भी कदम उठाने से रोका जाता है जो मुकेश धीरूभाई अंबानी समूह का हिस्सा हैं।
सीनियर एडवोकेट गोपाल सुब्रमणियम अमेज़न के लिए पेश हुए और उन्हें P & A लॉ ऑफ़िस और AZB & पार्टनर्स द्वारा सलाह दी गई।
सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे फ्यूचर ग्रुप के लिए पेश हुए थे, और उन्हें ट्राइलगल और नाइक एंड कंपनी द्वारा ब्रीफ किया गया था।
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सेन्टर एक विकल्प है जहां ट्रिब्यूनल गठित नहीं हुआ हो या ट्रिब्यूनल गठित होने में कुछ समय हो तो अंतरिम राहत के लिये कोई भी पक्ष आपात मध्यस्थता के लिये जा सकता है। ऐमजान ने अंतरिम राहत के लिये सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सेन्टर के नियमों में प्रदत्त इस उपबंध का इस्तेमाल किया।
अमेज़न,जिसके पास फ्यूचर कूपन्स में 5 फीसदी का स्वामित्व है और उसने 2019 में इसमें 1,430 करोड़ रूपए का निवेश किया था, के अनुसार 30 कंपनियों की निगेटिव सूची है जिनके साथ फ्यूचर समूह कारोबार नहीं कर सकता है। इन 30 कंपनियों में ही एक मुकेश धीरूभाई अंबानी समूह का समूह है।
इस अंतरिम राहत का मतलब यह हुआ कि फ्यूचर ग्रुप अपना कारोबार रिलायंस रिटेल को नहीं बेच सकता है जो 24, 713 करोड़ रूपए में इस कारोबार को अधिग्रहण करने के लिये तैयार हुआ था।
रिलायंस रिटेल्स वेंचर्स लिमिटेड , जो रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की सहायक कंपनी है, ने अगस्त 2020 में किेशार बियानी के फ्यूचर समूह का खुदरा और थोक कारोबार तथा लॉजिस्टिक्स ओर भंडारण के कारोबार का अधिग्रहण किया था।
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