अश्नीर ग्रोवर ने फिनटेक फर्म भारतपे के प्रबंध निदेशक के रूप में अपनी बहाली की मांग करते हुए राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) का दरवाजा खटखटाया है। [अश्नीर ग्रोवर बनाम मेसर्स रेजिलिएंट इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड और अन्य]।
ग्रोवर ने यह घोषणा करने के लिए भी प्रार्थना की है कि उनके जाने के बाद से कंपनी के प्रबंधन में लाए गए बदलाव अवैध हैं।
इसके अलावा, उन्होंने अपनी पत्नी माधुरी जैन ग्रोवर की बर्खास्तगी को रद्द करने और 1 मार्च, 2022 को उनके इस्तीफे के बाद से फर्म द्वारा जारी किए गए किसी भी नए शेयर को वापस करने का निर्देश देने की मांग की।
न्यायिक सदस्य महेंद्र खंडेलवाल और तकनीकी सदस्य राहुल भटनागर के एक कोरम ने 6 दिसंबर को मामले की सुनवाई की।
भारतपे की ओर से पेश वकील ने याचिका की विचारणीयता को चुनौती देते हुए तर्क दिया कि केवल एक सदस्य जिसके पास कंपनी की जारी शेयर पूंजी का 10% से अधिक है, वह कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 241 (उत्पीड़न के मामलों में राहत के लिए ट्रिब्यूनल में आवेदन) के तहत याचिका ला सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा मामले में यह संतुष्ट नहीं है।
ग्रोवर के वकील ने कहा कि वर्ष 2021-22 के लिए भारतपे की अपनी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी के कुल इक्विटी शेयर 1,01,925 थे, जिसमें से ग्रोवर की शेयरधारिता 43,877 (43%) थी।
भारतपे ने तर्क दिया कि 1,01,925 शेयर केवल कंपनी द्वारा जारी किए गए इक्विटी शेयरों का गठन करते हैं और जारी की गई साझा पूंजी में ग्रोवर की हिस्सेदारी केवल 0.00013% थी।
न्यायाधिकरण ने मामले को 11 जनवरी, 2024 को आगे विचार के लिए स्थगित कर दिया, जब ग्रोवर के वकील विचारणीयता के मुद्दे पर आगे की दलीलें देंगे।
अश्नीर ग्रोवर की ओर से अधिवक्ता गिरिराज सुब्रमण्यम, सिमरपाल सिंह साहनी, वेदा सिंह, राहुल कुमार, सिद्धांत जुयाल, अखिलेश तल्लुरी, उर्वशी सिंह, रवि पाठक, एमपी देवनाथ, अभिषेक आनंद और अतुल शर्मा पेश हुए।
वरिष्ठ अधिवक्ता कृष्णेंदु दत्ता के साथ अधिवक्ता अभिजीत सिन्हा, अनुज बेरी, सौरभ रथ, मेघा जानकीरमण, भार्गवी वडेयार, विभोर यादव, अपराजित सेन, विपुल गंडा, अयानदेब मित्रा, अमोदिनी रैना और एसके गिरि भारतपे और इसके पदाधिकारियों की ओर से पेश हुए।
ग्रोवर की अंतरिम राहत ों में कंपनी छोड़ने के बाद से कंपनी की शेयरधारिता पर यथास्थिति बनाए रखना और कंपनी के हितों को सुरक्षित रखने के लिए भारतपे के बोर्ड में उनके दो प्रतिनिधियों को बैठाने का आदेश शामिल है।
ग्रोवर ने अपनी याचिका में दलील दी कि उन्हें मनमाने तरीके से भारतपे से जबरन बाहर किया गया ताकि ''अवैध रूप से, मनमाने ढंग से और कानून के उचित अनुपालन के बिना उनके प्रतिबंधात्मक शेयरों को वापस लिया जा सके।
[आदेश पढ़ें]
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Ashneer Grover moves NCLT seeking reinstatement as BharatPe Managing Director