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भरतपुर में सैन्य अधिकारी और मंगेतर पर हमला: आरोपी इंस्पेक्टर नार्को टेस्ट के लिए राजी

इंस्पेक्टर ने बुधवार को मजिस्ट्रेट अदालत को बताया, "मैं निर्दोष हूं। मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों में मैं शामिल नहीं हूं।"

Bar & Bench

भरतपुर पुलिस थाने के निलंबित प्रभारी निरीक्षक (आईआईसी) दीनाकृष्ण मिश्रा, जिन पर एक सैन्य अधिकारी और उनकी वकील-मंगेतर पर हिरासत में क्रूरतापूर्वक हमला करने का आरोप है, अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नार्को एनालिसिस टेस्ट कराने के लिए सहमत हो गए हैं।

मिश्रा ने बुधवार को उप-विभागीय न्यायिक मजिस्ट्रेट को बताया कि वह निर्दोष हैं और अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए नार्को-एनालिसिस, पॉलीग्राफ और ब्रेन फिंगर प्रिंटिंग टेस्ट करवाने को तैयार हैं।

अभियोजन पक्ष द्वारा नार्को-एनालिसिस करवाने की याचिका दायर किए जाने के बाद मिश्रा ने अदालत के समक्ष गवाही देते हुए कहा, "मैं निर्दोष हूं। मेरे खिलाफ लगाए गए आरोपों में मैं शामिल नहीं हूं। मुझे नार्को-एनालिसिस, पॉलीग्राफ और ब्रेन फिंगर प्रिंटिंग टेस्ट करवाने में कोई आपत्ति नहीं है। मैं अपनी मर्जी से अपनी सहमति दे रहा हूं।"

इसलिए अदालत ने याचिका स्वीकार कर ली।

अदालत ने निर्देश दिया, "इस मामले के तथ्यों और परिस्थितियों तथा कथित आरोपी द्वारा दी गई सहमति को ध्यान में रखते हुए, अदालत इस बात से संतुष्ट है कि उसने अपनी इच्छा से नार्को-विश्लेषण, पॉलीग्राफ और ब्रेन फिंगर प्रिंटिंग टेस्ट कराने के लिए अपनी सहमति दी है। इसलिए, कथित आरोपी दीनाकृष्ण मिश्रा पर राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, गांधी नगर, गुजरात में उपरोक्त तीन परीक्षण कराने के लिए जांच अधिकारी की प्रार्थना को स्वीकार किया जाता है।"

इस मामले में आरोप है कि एक सैन्य अधिकारी और उनकी वकील मंगेतर को पुलिस ने प्रताड़ित किया, जब वे 14 सितंबर को रोड रेज की घटना के बारे में शिकायत दर्ज कराने भरतपुर पुलिस स्टेशन गए थे।

वकील ने यह भी शिकायत की कि पुलिस स्टेशन में उनके साथ यौन उत्पीड़न किया गया।

इस घटना पर देशभर में आक्रोश के जवाब में, ओडिशा पुलिस ने 19 सितंबर को भरतपुर पुलिस स्टेशन के प्रभारी निरीक्षक (आईआईसी) सहित पांच अधिकारियों को निलंबित कर दिया।

निलंबित अधिकारियों में आईआईसी दीनाकृष्ण मिश्रा, उप-निरीक्षक बैसलिनी पांडा, सहायक उप-निरीक्षक सलिलामयी साहू और सागरिका रथ, साथ ही कांस्टेबल बलराम हांडा शामिल हैं।

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने आज नोट किया कि केस रिकॉर्ड से पता चला है कि यह घटना सितंबर को लगभग 2:00 बजे भरतपुर पुलिस स्टेशन के अंदर हुई थी।

कोर्ट ने कहा इसलिए, अब यह जांच एजेंसी की जिम्मेदारी है कि वह कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्य जुटाकर सच्चाई को उजागर करे क्योंकि कथित घटनाएं बिना किसी प्रत्यक्षदर्शी के पुलिस स्टेशन की सीमा के भीतर हुईं।

इस प्रकार, न्यायालय ने मामले में जांच अधिकारी को बिना किसी देरी के मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार सभी उपरोक्त परीक्षण करने और सभी मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।

[आदेश पढ़ें]

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Bharatpur assault on army officer, fiancé: Accused Inspector agrees to Narco Analysis Test