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बिहार न्यायाधीश हमला: डीजीपी ने पटना उच्च न्यायालय के समक्ष सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की

उच्च न्यायालय ने इस मामले में न्यायालय की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मृगांक मौली को न्याय मित्र नियुक्त किया।

Bar & Bench

बिहार के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने एक घटना के संबंध में पटना उच्च न्यायालय के समक्ष सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत की है, जिसमें दो पुलिस अधिकारियों ने एक अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश के साथ कथित रूप से मारपीट की थी।

रिपोर्ट की जांच के बाद, जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस मोहित कुमार शाह की बेंच ने इसे फिर से सील कर दिया और निर्देश दिया कि इसे रजिस्ट्रार (न्यायिक) की सुरक्षित हिरासत में रखा जाए।

कोर्ट ने निर्देश दिया, "सीलबंद लिफाफे को खोल दिया गया है, इसका अवलोकन किया गया है और इसे फिर से सील कर दिया गया है। रिपोर्ट को रजिस्ट्रार न्यायिक की सुरक्षित अभिरक्षा में रखा जाए।"

डिवीजन बेंच ने इस मामले में कोर्ट की सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता मृगांक मौली को एमिकस क्यूरी भी नियुक्त किया।

कोर्ट ने 18 नवंबर को घोघरडीहा के थाना प्रभारी गोपाल कृष्ण और पुलिस उप-निरीक्षक अभिमन्यु कुमार शर्मा के जज अविनाश कुमार, अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, झंझारपुर के कक्ष में जबरन प्रवेश करने और गाली-गलौज और मारपीट करने के बाद 18 नवंबर को स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला शुरू किया था।

कोर्ट ने बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव, गृह विभाग, बिहार सरकार और पुलिस अधीक्षक मधुबनी को भी नोटिस जारी किया था।

साथ ही मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी को सुनवाई के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

डीजीपी की रिपोर्ट को देखते हुए कोर्ट ने मामले को 1 दिसंबर के लिए स्थगित कर दिया।

अगली सुनवाई के लिए भी डीजीपी को मौजूद रहना होगा।

[आदेश पढ़ें]

Court_on_its_own_motion_vs_State_of_Bihar.pdf
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Bihar Judge assault: DGP places report in sealed cover before Patna High Court