Calcutta High Court 
समाचार

सभ्य समाज में किसी नागरिक के सामाजिक बहिष्कार का कोई स्थान नहीं: कलकत्ता हाईकोर्ट

अदालत ने टिप्पणी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमे आरोप लगाया कि उसकी संपत्ति के सामने अवैध रूप से निर्मित मंदिर पर आपत्ति के कारण उसे अपने इलाके मे सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है

Bar & Bench

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में जोर देकर कहा कि एक नागरिक या उसके परिवार के सदस्यों के सामाजिक बहिष्कार से अधिकारियों द्वारा सख्ती से निपटा जाना चाहिए (रणजीत मंडल बनाम पश्चिम बंगाल राज्य)। 

न्यायमूर्ति जय सेनगुप्ता ने यह टिप्पणी उस याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसमें आरोप लगाया गया है कि एक व्यक्ति अपनी संपत्ति के सामने अवैध रूप से बनाए गए मंदिर पर आपत्ति जताने के कारण अपने क्षेत्र के स्थानीय लोगों के सामाजिक बहिष्कार का सामना कर रहा है।

न्यायमूर्ति सेनगुप्ता ने 27 दिसंबर के आदेश में कहा "किसी भी नागरिक या उसके परिवार के सदस्य के सामाजिक बहिष्कार से प्रशासन को सख्ती से निपटना होगा। सभ्य समाज में इसका कोई स्थान नहीं है।"

अदालत ने आगे टिप्पणी की कि यदि कोई पक्ष विचाराधीन संपत्ति के संबंध में अपने अधिकारों को स्थापित करना चाहता है, तो वे सिविल कोर्ट के समक्ष ऐसा कर सकते हैं।

किसी भी पक्ष को कानून अपने हाथ में लेने का कोई अधिकार नहीं है।

अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता के पास एक संपत्ति है, लेकिन कुछ व्यक्ति (प्रतिवादी) उसके शांतिपूर्ण कब्जे और आनंद को बाधित कर रहे हैं।

याचिकाकर्ता ने सिविल कोर्ट के समक्ष उनके खिलाफ एक दीवानी मुकदमा दायर किया था, जिसके कारण प्रतिवादियों के खिलाफ निषेधाज्ञा आदेश पारित किया गया था।

हालांकि, उच्च न्यायालय को बताया गया कि निजी प्रतिवादी अंतरिम निषेधाज्ञा का उल्लंघन करते रहे और अन्य स्थानीय लोगों के साथ मिलकर याचिकाकर्ता का सामाजिक बहिष्कार करना शुरू कर दिया।

राज्य के वकील ने अदालत को बताया कि दोनों पक्षों के बीच एक दीवानी विवाद लंबित है, अधिकारियों ने क्षेत्र में शांति सुनिश्चित करने के लिए दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 107 (शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा) के तहत कार्यवाही शुरू की है।

निजी प्रतिवादियों के खिलाफ निषेधाज्ञा आदेश पर ध्यान देते हुए, अदालत ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्र में तेज निगरानी रखने का आदेश दिया कि शांति का कोई उल्लंघन न हो और सिविल कोर्ट के आदेश का उल्लंघन न हो।

याचिका का निपटारा करते हुए पीठ ने कहा, ''निगरानी में पुलिस गश्ती दल द्वारा क्षेत्र का बार-बार दौरा करना शामिल होगा।

याचिकाकर्ता की ओर से वकील सोमनाथ मुखर्जी पेश हुए। 

राज्य का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता अमृतलाल चटर्जी ने किया। 

[निर्णय पढ़ें]

Ranajit Mondal vs State of West Bengal.pdf
Preview

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Social boycott of a citizen has no place in civilised society: Calcutta High Court