सूचना के अधिकार कानून के तहत प्राधिकारियों द्वारा जानकारी देने से इंकार को अस्वीकार्य बताते हुये केन्द्रीय सूचना आयोग ने नेशनल इंफार्मेटिक्स सेन्टर को लिखित में यह स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है कि "gov.in" नाम के साथ आरोग्य सेतु वेबसाइट कैसे बनाई गयी अगर उनके पास इसके बारे में जानकारी नहीं थी।
सीआईसी ने पहली नजर में आरटीआई आवेदन का टालू जवाब देने और सूचना प्रदान करने में बाधा डालने वाले केन्द्र सरकार के चार अधिकारियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किये हैं।
सूचना आयुक्त वनजा एन सरना ने आरटीआई कानून के तहत दायर एक आवेदन के संबंध में यह आदेश दिया। इस आवेदन में आरोग्य सेतु ऐप बनाने से संबंधित विवरण मांगा गया था।
आरटीआई आवेदन दायर करने वाले सौरव दास ने द्वारा मांगी गयी अन्य जानकारियों में इस ऐप की उत्पत्ति, स्वीकृति का विवरण, ऐप तैयार करने या विकसित करने में निजी क्षेत्र के लोगो के साथ पत्र-व्यवहार,आंतरिक नोट्स, मेमो, फाइल नोटिंग्स और ऐप बनाने के दौरान हुयी बैठकों की कार्यवाही का विवरण भी शामिल था।
संबंधित केन्द्रीय जन सूचना अधिकारी से स्पष्ट अनुरोध किया गया था कि उस कानून का विवरण उपलब्ध कराया जाये जिसके अंतर्गत यह ऐप तैयार किया गया और इसे चलाया जा रहा है।
शिकायतकर्ता को जब इलेक्ट्रानिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नेशनल ई-गवर्नेन्स विभाग के सीपीआइओ से जब कोई जवाब नहीं मिला तो यह मामला सीआईसी के पास पहुंचा।
सीआईसी के समक्ष शिकायतकर्ता ने कहा कि मौजूदा आरटीआई आवेदन में वे बिन्दु ही हैं जिनके बारे में एक अन्य आवेदन के माध्यम से एनआईसी से जानकारी मांगी गयी थी।
शिकायतकर्ता ने सीआईसी को सूचित किया कि एनआईसी ने उस मामले में यह जानकारी इस आधार पर उपलब्ध नहीं करायी थी कि ऐप के सृजन से संबंधित ‘जानकारी उसके पास नहीं’ है।
बड़े पैमाने पर निजता के मौलिक अधिकार के गंभीर हनन की आशंका में शिकायतकर्ता ने कहा कि किसी के पास यह जानकारी नही है कि आरोग्य सेतु ऐप किस तरह तैयार किया गया और लाखों भारतीयों के निजी विवरण का दुरूपयोग रोकने के लिये इसमे क्या उपाय हैं।
शिकायतकता्र ने यह दलील भी दी कि ऐसा लगता है कि आरोग्य सेतु से संबंधित जानकारी मांगने वाले किसी भी आवेदक से जानबूझ कर इस जानकारी को छिपाने का सार्वजनिक प्राधिकारियों ने एक विशेष तरीका अपना रखा है।
सीआई ने अपने आदेश में कहा कि संबंधित सीपीआईओ के जवाब के मद्देनजर उसकी राय है कि प्राधिकारी ‘उस स्रोत का पता लगाने में विफल रहे जहां से यह जानकारी प्राप्त की जा सकती थी।’
‘‘सभी संबंधित पक्षों और आयोग के मौखिक निर्देश पर इस मामले में उपस्थित एनआईसी के सीपीआईओ का पक्ष सुनने के बाद , सभी संबंधित प्राधिकारियों द्वारा सूचना प्रदान करने से इंकार करना किसी भी स्थित में स्वीकारनहीं किया जा सकता।’’केन्द्रीय सूचना आयोग
सीआईसी ने कहा कि जन प्राधिकारी मामले को टालने के लिये आरटीआई कानून की धारा 6 (3) का इस्तेमाल नहीं कर सकते।
आयोग ने कहा, ‘‘आवेदन प्राप्त करने यह कह कर अपना पल्ला नहीं झाड़ सकते कि उनके पास जानकारी उपलब्ध नहीं है। संबंधित जन प्राधिकारियों द्वारा मांगी गयी जानकारी उसके अभिरक्षों से प्राप्त करने के लिये कुछ प्रयास किये जाने चाहिए जब वे संबंधित पक्षकार हैं।"
आयोग ने अब एनआईसी के सीपीआईओ को लिखित में यह स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है कि gov.in नाम से किस तरह आरोग्य सेतु वेबसाइट तैयार की गयी जब उनके पास इसके बारे में कोई जानकारी नही थी। आदेश में आगे कहा गया है,
‘‘एनआईसी के सीपीआईओ को यह भी स्पष्टीकरण देना चाहिए कि जब वेबसाइट में इस बात का जिक्र है कि आरोग्य सेतु प्लेटफार्म नेशनल इंफार्मेटिक्स सेन्टर, इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, ने डिजाइन, विकसित और तैयार की है तो ऐसा कैसे है कि उनके पास इस ऐप के बारे में कोई जानकारी नहीं है।’’
सीआईसी ने इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख पर वेबसाइट की ओर से संबंधित अधिकारी को उपस्थित रहने का भी निर्देश दिया है।
चूंकि यह कहा गया है कि वेबसाइट का स्वामित्व और उसका रखरखाव MyGov, MeitY द्वारा किया जा रहा है, सीआईसी ने जानना चाहा है कि इस ऐप के रखरखाव में MyGov, MeitY की भूमिका के बारे में जानकारी देने के लिये संबंधित सीपीआईओ कौन होगा।
सीआईसी ने संबंधित सीपीआईओ को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है ओर उससे जानना चाहा है कि पहली नजर में सूचना प्रदान करने में अड़ंगा डालने और टालने वाला जवाब देने के कारण क्यों नही आरटीआई कानून की धारा 20 के अंतर्गत उस पर जुर्माना लगाया जाये।
केन्द्रीय सूचना आयोग ने सभी संबंधित सीपीआईओ को सुनवाई की अगली तारीख 24 नवंबर को उसके समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया है।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें