कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में बलात्कार के एक मामले में यह देखते हुए जमानत दी थी कि आरोपी और शिकायतकर्ता के बीच संबंध प्रथम दृष्टया सहमति से प्रतीत होते हैं। [मनोज कुमार एम आर बनाम कर्नाटक राज्य और अन्य]।
न्यायमूर्ति श्रीनिवास हरीश कुमार ने अपीलकर्ता-आरोपी को जमानत दे दी, जिसने कथित तौर पर महिला से बलात्कार किया लेकिन उससे शादी नहीं की क्योंकि वह एक विशेष जाति से संबंधित है और फिर उसका गला घोंटने की कोशिश की।
कोर्ट ने कहा कि चूंकि महिला 27 साल की है और ऐसा लगता है कि उन्होंने अपनी दूसरी गर्भावस्था को स्वेच्छा से समाप्त कर दिया, वह अपीलकर्ता के साथ यौन संबंध रखने के परिणामों को जानती थी।
कोर्ट ने कहा, "दूसरे प्रतिवादी की आयु 27 वर्ष है। वह अपीलकर्ता के साथ संभोग करने के परिणामों को जानती थी...इस स्तर पर इस निष्कर्ष पर पहुंचना मुश्किल है कि अपीलकर्ता दूसरे प्रतिवादी के साथ जबरन यौन संबंध रखता था।"
आदमी को दो लाख रुपये के जमानत मुचलके पर रिहा किया गया, और कहा गया कि वह गवाहों को धमकी न दें, सबूतों से छेड़छाड़ न करें या महिला को प्रभावित न करें। उन्हें आवश्यकता पड़ने पर निचली अदालत में पेश होने और कोई अन्य आपराधिक अपराध नहीं करने का आदेश दिया गया था।
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