Justice Manish Pitale and Justice Govind Sanap
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पिता से पैसे मांगने वाली बेटी पर नहीं लगेगा आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराध: बॉम्बे हाईकोर्ट

Bar & Bench

बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि एक बेटी द्वारा अपने पिता से बार-बार की जाने वाली मौद्रिक मांग आत्महत्या के लिए उकसाने के अपराध को आकर्षित नहीं करेगी [लता प्रमोद डांगरे बनाम महाराष्ट्र राज्य]।

न्यायमूर्ति मनीष पितले और न्यायमूर्ति गोविंद सनप की पीठ ने एक महिला के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया, जिसमें कथित तौर पर अपने पिता को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया गया था।

अदालत ने माना कि बेटी द्वारा अपनी मां के लिए कथित तौर पर बार-बार की जाने वाली मौद्रिक मांग भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) के तहत अपराध से कम होगी।

बेंच ने कहा, "गौरतलब है कि वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता कथित रूप से अपनी मां के माध्यम से कृषि भूमि में हिस्सेदारी या पिता से आर्थिक राहत की मांग कर रही थी। हमारा मानना ​​है कि इस तरह की बार-बार मांग या मांगों में कथित वृद्धि से यह निष्कर्ष नहीं निकल सकता है कि प्रथम दृष्टया पिता को आत्महत्या करने के लिए प्रेरित करने के इरादे से मांग की जा रही थी।"

ऐसे मामलों में, बेंच ने कहा कि अदालत को आसपास की परिस्थितियों को भी ध्यान में रखना होगा, जिसका असर आरोपी की कथित कार्रवाई और मृतक के मानस पर पड़ सकता है।

पीठ एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिस पर कथित तौर पर अपने पिता को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया गया था। मृतक की दूसरी पत्नी की बेटी महिला पर पिता से उसकी मां के लिए बार-बार पैसे की मांग करने का आरोप लगाया गया था।

पिता की 14 सितंबर, 2021 को आत्महत्या से मौत हो गई थी और उसने एक सुसाइड नोट लिखा था जिसमें उसने याचिकाकर्ता और उसकी दूसरी पत्नी पर पैसे की मांग कर उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का आरोप लगाया था।

इसने एक घटना का हवाला दिया, जिसमें मृतक ने दूसरी पत्नी के पक्ष में सावधि जमा के रूप में 2 लाख रुपये का निवेश करने का फैसला किया था।

पीठ ने कहा कि सुसाइड नोट में याचिकाकर्ता और उसकी मां द्वारा कथित रूप से प्रताड़ित किए जाने के संबंध में मृतका की पीड़ा को दर्शाया गया है।

[निर्णय पढ़ें]

Lata_Pramod_Dangre_vs_State_of_Maharashtra (1).pdf
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