Air pollution, cars 
समाचार

दिल्ली प्रदूषण: सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि ऑड-ईवन जैसी योजनाएं महज़ दिखावा हैं

Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को टिप्पणी की कि दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार द्वारा बनाई गई सम-विषम योजना बिना किसी ठोस परिणाम के "महज दिखावा" है।

ऑड-ईवन योजना में कुछ दिनों में विषम पंजीकरण संख्या वाले वाहन और अन्य दिनों में सम पंजीकरण संख्या वाले वाहन सड़कों पर चलते हैं।

कोर्ट ने कहा, "क्या आपने मूल्यांकन किया है कि पिछले वर्षों में यह कैसे काम करता था? ऐसी योजनाएं केवल दिखावा हैं।"

न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने आगे कहा कि अगर मेट्रो रेलवे प्रणाली नहीं होती तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति और भी खराब होती।

न्यायमूर्ति कौल ने कहा, "एक मुद्दा चरम मौसम की स्थिति है। भगवान जानता है कि अगर मेट्रो नहीं होती तो क्या होता। हालांकि पॉइंट-टू-पॉइंट कनेक्टिविटी अभी भी एक मुद्दा है।"

न्यायालय ने आज दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी में अन्य राज्यों के "नारंगी-टैग" वाहनों (प्रदूषणकारी डीजल कारों) और टैक्सियों के प्रवेश को नियंत्रित करने का भी आग्रह किया।

न्यायालय विभिन्न पर्यावरणीय मुद्दों से संबंधित सर्वव्यापी मामले में राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण के संबंध में एक आवेदन पर सुनवाई कर रहा था।

मंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने यह भी कहा कि उत्तरी राज्यों पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा पराली जलाने की प्रथा बंद की जानी चाहिए क्योंकि यह दिल्ली सहित देश के उत्तरी क्षेत्र में वायु प्रदूषण में महत्वपूर्ण योगदान देती है।

पराली जलाने से तात्पर्य किसानों द्वारा गेहूं और धान जैसे अनाज की कटाई के बाद खेतों में बचे भूसे के अवशेषों में आग लगाने की प्रथा से है।

कोर्ट ने आगे कहा कि जहां एक ओर सरकार बाजरा को बढ़ावा दे रही है, वहीं वह धान को पंजाब में भूजल को बर्बाद करने दे रही है।

मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी.

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Delhi Pollution: Odd-even type schemes mere optics, says Supreme Court