दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, पवन खेड़ा और नेट्टा डिसूजा को गोवा में रेस्तरां और बार को लेकर हुए हालिया विवाद के संबंध में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनकी बेटी के खिलाफ सोशल मीडिया पर अपमानजनक सामग्री को हटाने का आदेश दिया।
अदालत ने रमेश, खेरा और डिसूजा को मंत्री स्मृति ईरानी द्वारा सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर प्रतिवादियों द्वारा लगाए गए आरोपों के खिलाफ मानहानि के मुकदमे पर भी समन जारी किया।
एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्ण ने कहा कि उनका प्रथम दृष्टया विचार था कि आरोप वास्तविक तथ्यों की पुष्टि किए बिना लगाए गए थे और उसी के कारण ईरानी को गंभीर चोट लगी है।
कोर्ट ने कहा, "मेरा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि वास्तविक तथ्यों की पुष्टि किए बिना वादी के खिलाफ निंदनीय आरोप लगाए गए थे। प्रतिवादियों के प्रेस कांफ्रेंस के कारण किए गए ट्वीट और रीट्वीट को देखते हुए वादी की प्रतिष्ठा को गंभीर क्षति पहुंची है। वादी ने प्रथम दृष्टया मामला बनाया है और सुविधा का संतुलन वादी के पक्ष में और प्रतिवादियों के खिलाफ है।"
इसलिए, न्यायालय ने प्रतिवादियों को यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर सहित सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान लगाए गए आरोपों को हटाने और हटाने का निर्देश देते हुए एक अंतरिम निषेधाज्ञा दी।
अदालत ने स्पष्ट किया, यदि प्रतिवादी इस आदेश के 24 घंटों के भीतर निर्देशों का पालन करने में विफल रहते हैं, तो प्रतिवादी 4-6 (सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म) को सामग्री को हटा देना चाहिए।
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