दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को तीस हजारी अदालत परिसर के पुनर्विकास और विस्तार के लिए जमीन उपलब्ध नहीं कराने पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) और दिल्ली सरकार पर नाराजगी व्यक्त की।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ उच्च न्यायालय द्वारा दायर एक आवेदन पर विचार कर रही थी, जिसमें अदालत परिसर के विस्तार के लिए आवश्यक भूमि को समयबद्ध तरीके से आवंटित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालत परिसरों के निर्माण के उद्देश्य से भूमि-स्वामित्व वाली एजेंसी द्वारा भूमि आवंटित नहीं की जा रही है।"
नवंबर 2021 में उच्च न्यायालय द्वारा वकील आरके कपूर द्वारा दायर पहले से ही लंबित जनहित याचिका (पीआईएल) में अदालत परिसरों के लिए अपेक्षित बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निर्देश देने की मांग करते हुए आवेदन दायर किया गया था।
आवेदन में इस तथ्य पर प्रकाश डाला गया कि वर्ष 1997 के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद, भूमि का कब्ज़ा सौंपने पर कोई गंभीर आंदोलन नहीं हुआ है।
पीठ ने सोमवार को डीडीए और दिल्ली सरकार को एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया और मामले को 13 सितंबर को आगे के विचार के लिए सूचीबद्ध किया।
कोर्ट को बताया गया कि जगह की कमी के कारण तीस हजारी में काम करने की स्थिति बेहद खराब है, जिसके कारण वकील, स्टांप विक्रेता और शपथ आयुक्त खुले में जगह रखते हैं।
उच्च न्यायालय ने अपने आवेदन में तर्क दिया कि जल्द से जल्द भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करना दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार का कर्तव्य और जिम्मेदारी है।
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