दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिकता प्राप्त व्यक्तियों को पुनर्वास पैकेज प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
सुनवाई के दौरान इस बात पर प्रकाश डाला गया कि कुछ शरणार्थी दयनीय परिस्थितियों में रह रहे हैं, जिसके लिए पुनर्वास पैकेज की आवश्यकता है।
हालांकि, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विभु बाखरू और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने टिप्पणी की कि यह एक नीतिगत मामला है, जिसे सरकार को देखना चाहिए, न कि अदालत को इसमें हस्तक्षेप करना चाहिए।
न्यायालय ने याचिका का निपटारा करते हुए कहा, "किस सीमा तक पुनर्वास पैकेज की आवश्यकता है, यह मूलतः नीतिगत मामला है। याचिकाकर्ता ने पाकिस्तान से आए लोगों के लिए व्यापक पुनर्वास पैकेज के लिए प्राधिकारियों के समक्ष पहले ही अभ्यावेदन दे दिया है।"
वैभव सैनी नामक व्यक्ति ने एक व्यापक पुनर्वास पैकेज की मांग की है, जिसमें न केवल आश्रय बल्कि स्वास्थ्य सेवा, पानी, बिजली और स्वच्छता तक पहुंच भी शामिल हो।
अदालत ने याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कहा, "आप पुनर्वास पैकेज की मांग कर रहे हैं और इसका मूल्यांकन विभिन्न मापदंडों के आधार पर किया जाएगा।"
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें
Delhi High Court refuses plea for rehabilitation package under CAA