दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) में नोटिस जारी किया, जिसमें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेवाई) के प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी, जो गरीबों और कोविड -19 के पीड़ितों के लिए केंद्र सरकार का राहत पैकेज है। [आकाश गोयल बनाम भारत संघ और अन्य]।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति नवीन चावला की खंडपीठ ने नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों को जवाब दाखिल करने के लिए आठ सप्ताह का समय दिया।
अब मामले की सुनवाई 20 अक्टूबर को होगी।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना COVID-19 महामारी के मद्देनजर मार्च 2020 में लगाए गए देशव्यापी तालाबंदी के बाद केंद्र द्वारा घोषित योजनाओं का एक बैच है।
याचिका आकाश गोयल नाम के एक एक्टिविस्ट ने एडवोकेट प्रशांत भूषण के जरिए दायर की है।
इसने जन धन खाता रखने वाली महिलाओं के खाते में प्रति माह ₹500 के नकद हस्तांतरण और प्रधान मंत्री उज्ज्वला योजना के ग्राहकों के लिए विशेष रूप से मुफ्त सिलेंडर के प्रावधान के दो विशिष्ट मुद्दों को उठाया है।
याचिका में तर्क दिया गया कि ₹500 का अनुदान केवल जन धन खाताधारकों तक सीमित था और लाभ प्राप्त करने के लिए एक सक्रिय खाता होना एक पूर्व-आवश्यकता है। याचिका में कहा गया है कि यह मानदंड बहिष्कृत है क्योंकि करोड़ों गरीब महिलाओं के पास सक्रिय खाता नहीं है।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें