दिल्ली पुलिस ने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत दिल्ली दंगों के एक मामले में आसिफ इकबाल तन्हा, देवांगना कलिता और नताशा नरवाल को जमानत देने के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनूप जे भंभानी की बेंच द्वारा मंगलवार को दिए गए फैसले के खिलाफ बुधवार सुबह स्पेशल लीव पिटीशन (अपील) दायर की गई।
उच्च न्यायालय ने माना था कि प्रथम दृष्टया, तीनों के खिलाफ वर्तमान मामले में रिकॉर्ड की गई सामग्री के आधार पर धारा 15, 17 या 18 यूएपीए के तहत कोई अपराध नहीं बनाया गया था।
आसिफ इकबाल तन्हा जामिया मिलिया इस्लामिया में बीए (ऑनर्स) (फारसी) कार्यक्रम के अंतिम वर्ष का छात्र है। उन्हें मई 2020 में यूएपीए के तहत दिल्ली दंगों के मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से लगातार हिरासत में है।
दिल्ली पुलिस के मुताबिक, नागरिकता संशोधन अधिनियम का पालन करते हुए, तन्हा, कलिता और नरवाल ने अन्य आरोपी व्यक्तियों के साथ मिलकर इस हद तक और इतने परिमाण में व्यवधान पैदा करने की साजिश रची कि अभूतपूर्व पैमाने पर अव्यवस्था और कानून-व्यवस्था की गड़बड़ी हो।
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