दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली सरकार को फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों से उपजे साजिश के मामले में छात्र कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा द्वारा जमानत से इनकार करने की अपील पर नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने सरकार से जवाब मांगा और मामले को आगे की सुनवाई के लिए 14 जुलाई को सूचीबद्ध किया।
एमबीए ग्रेजुएट फातिमा को दिल्ली पुलिस ने 11 अप्रैल, 2020 को गिरफ्तार किया था और बाद में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद, यूनाइटेड अगेंस्ट हेट एक्टिविस्ट खालिद सैफी, कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां, आप के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन, राजद युवा विंग के मीरान हैदर, पिंजरा टॉड की कार्यकर्ता गुलफिशा फातिमा, सफूरा जरगर, नताशा नरवाल, देवांगना कलिता और तसलीम अहमद सहित अन्य चार्जशीट किया गया।
उन पर भारतीय दंड संहिता के कई प्रावधानों के साथ-साथ गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) का आरोप लगाया गया है।
17 मार्च, 2022 को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। न्यायाधीश ने कहा कि यह मानने के लिए "उचित आधार" थे कि उनके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सच थे।
फातिमा के अलावा न्यायमूर्ति मृदुल की अध्यक्षता वाली दिल्ली उच्च न्यायालय की पीठ अब जेएनयू के छात्र शरजील इमाम, उमर खालिद और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी की जमानत याचिका पर भी विचार कर रही है।
अदालत पहले ही इन सभी मामलों में नोटिस जारी कर चुकी है और मामले अब इस महीने के अंत और जुलाई में आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हैं।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें