Supreme court and UP Police  
समाचार

जेल में बंद आरोपियों को मुकदमे के लिए पेश करना पुलिस का कर्तव्य, पेश न होने का दोष आरोपी पर नहीं मढ़ा जा सकता: सुप्रीम कोर्ट

इस मामले में, उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक सरकारी कर्मचारी को जमानत देने का इस आधार पर विरोध किया था कि वह मुकदमे के लिए उपस्थित नहीं हुआ था। हालाँकि, शीर्ष अदालत ने पाया कि आरोपी उस समय जेल में था।

Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह स्पष्ट कर दिया है कि यह सुनिश्चित करना पुलिस का कर्तव्य है कि आपराधिक मामलों में आरोपी और सलाखों के पीछे बंद लोगों को ट्रायल कोर्ट के समक्ष विधिवत पेश किया जाए। [सतेंद्र बाबू बनाम उत्तर प्रदेश राज्य]

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने कहा कि पुलिस की ओर से ऐसी किसी भी लापरवाही का दोष जेल में बंद आरोपियों को नहीं दिया जा सकता।

कोर्ट ने यह टिप्पणी उस मामले में की, जहां उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक व्यक्ति को इस आधार पर जमानत देने का विरोध किया था कि वह ट्रायल कोर्ट के सामने पेश नहीं हुआ, जिसके परिणामस्वरूप उसकी उपस्थिति के लिए वारंट जारी करना पड़ा।

हालाँकि, न्यायाधीशों ने बताया कि इस गलती के लिए आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि वह उस समय जेल में था।

कोर्ट ने कहा, "चूंकि याचिकाकर्ता जेल में है, इसलिए उसे ट्रायल कोर्ट के सामने पेश करना पुलिस अधिकारियों का कर्तव्य था। याचिकाकर्ता को पुलिस अधिकारियों की ओर से लापरवाही के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता।"

शीर्ष अदालत आरोपी व्यक्ति की जमानत याचिका खारिज करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही थी।

अपीलकर्ता एक सरकारी कर्मचारी था जो जन सेवा केंद्र का प्रभारी था और जिस पर गरीब निवेशकों को धोखा देने का आरोप था।

शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी एक साल से अधिक समय से जेल में है और इस मामले में आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।

इसे देखते हुए, अदालत ने आरोपी व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने की अनुमति दे दी।

[आदेश पढ़ें]

Satendra_Babu_vs_State_of_Uttar_Pradesh.pdf
Preview

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Duty of police to produce jailed accused for trial, cannot shift blame for non-appearance to accused: Supreme Court