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द्वारका एक्सप्रेसवे भूमि विवाद:दिल्ली मुख्य सचिव नरेश कुमार ने द वायर के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट मे मानहानि का मामला दायर किया

द वायर की रिपोर्ट में कहा गया कि नरेश कुमार के बेटे करण चौहान का एक परिवार से संबंध था, जिसे द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए एनएचएआई द्वारा एक भूखंड का अधिग्रहण किए जाने पर बढ़े हुए मुआवजे से फायदा हुआ था.

Bar & Bench

दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने द्वारका एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा भूमि अधिग्रहण के संबंध में कुमार पर आक्षेप लगाने वाली एक रिपोर्ट को हटाने के लिए ऑनलाइन समाचार पोर्टल द वायर को निर्देश देने की मांग करते हुए सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। [श्री नरेश कुमार बनाम द वायर एवं अन्य]।

द वायर की रिपोर्ट में कहा गया था कि नरेश कुमार के बेटे करण चौहान का एक परिवार से संबंध था, जिसे द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए एनएचएआई द्वारा एक भूखंड का अधिग्रहण किए जाने पर बढ़े हुए मुआवजे का लाभ मिला था.

कुमार ने लेख को हटाने की प्रार्थना करने के अलावा द वायर और रिपोर्टर मीतू जैन को आगे किसी भी अपमानजनक लेख को प्रकाशित करने से रोकने का निर्देश देने की भी मांग की है.

न्यायमूर्ति मनोज कुमार ओहरी ने आज इस मामले की सुनवाई की।

अदालत ने वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह की दलीलों पर विचार किया और मामले को मंगलवार को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया।

द वायर ने 9 नवंबर, 2023 को 'दिल्ली के मुख्य सचिव के बेटे के लाभार्थी के परिवार से जमीन के अधिक मूल्यांकन मामले में संबंध सवाल उठाते हैं' शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी.

आरोप लगाया गया था कि चौहान का उस परिवार के साथ संबंध था, जिसे बढ़े हुए मुआवजे का लाभ मिला था, जब द्वारका एक्सप्रेसवे के लिए एनएचएआई द्वारा दिल्ली के बामनोली गांव में 19 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था।

कुमार ने 13 नवंबर को वकील बानी दीक्षित के माध्यम से द वायर और मीतू जैन को कानूनी नोटिस भेजा, जिसमें उन्हें 48 घंटे के भीतर लेख को हटाने के लिए कहा गया.

नोटिस में कहा गया है कि रिपोर्ट मानहानिकारक, झूठी, आधारहीन और भ्रामक है और यह कुमार थे जिन्होंने अपनी इच्छा से इस मुद्दे का संज्ञान लिया और यह सुनिश्चित किया कि सरकारी खजाने को कोई गलत नुकसान नहीं होना चाहिए।

कुमार ने आगे कहा कि उनकी सिफारिश पर ही 20 अक्टूबर, 2023 को मामला सीबीआई को भेजा गया था।

दिल्ली की सतर्कता मंत्री आतिशी ने भी इस मुद्दे पर एक प्रारंभिक रिपोर्ट मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सौंपी थी।

यह कहा गया था कि एक जांच से पता चला कि कुमार ने अपने बेटे से जुड़ी एक कंपनी से 897 करोड़ रुपये के मुनाफे के साथ लाभ उठाया।

आतिशी ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने और कुमार तथा संभागीय आयुक्त अश्विनी कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की ताकि वे जांच को प्रभावित न कर सकें।

केजरीवाल ने रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेज ते हुए कुमार को निलंबित करने और मुख्य सचिव के पद से तत्काल हटाने की मांग की।

सतर्कता मंत्री ने 17 नवंबर को केजरीवाल को एक पूरक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें दिल्ली सरकार के आईएलबीएस अस्पताल से संबंधित एक परियोजना में उनके बेटे को लाभ पहुंचाने में कुमार की भूमिका का आरोप लगाया गया था।

आरोप था कि कुमार के बेटे की कंपनी को बिना टेंडर के आईएलबीएस अस्पताल के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) सॉफ्टवेयर लाने का काम दिया गया और कंपनी ने इससे सैकड़ों करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया.

रविवार को उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बामनोली भूमि अधिग्रहण मामले के संबंध में कुमार को हटाने की मांग करने वाली रिपोर्ट को खारिज कर दिया और कहा कि यह मंत्री की पूर्व धारणा पर आधारित है और चल रही जांच में बाधा डाल सकती है।

सक्सेना ने यह भी कहा कि यह मामला पहले से ही उच्चतम न्यायालय में है और सीबीआई इसकी जांच कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि गोपनीय रिपोर्ट मीडिया में लीक हो गई थी और लीक से पता चलता है कि मकसद मीडिया ट्रायल शुरू करना था।

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Dwarka expressway land row: Delhi Chief Secretary Naresh Kumar files defamation case in Delhi High Court against The Wire