सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजय करोल ने गुरुवार को कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि के साथ-साथ संपन्न और वंचितों के बीच की खाई भी बढ़ी है।
वे विश्व सामाजिक न्याय दिवस के अवसर पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे तथा ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी में केके लूथरा एवं निर्मल लूथरा सेंटर फॉर कम्पेरेटिव क्रिमिनल लॉ एंड क्रिमिनल जस्टिस स्टडीज की घोषणा कर रहे थे।
जस्टिस करोल ने कहा कि इस कार्यक्रम में एकत्रित हुए लोगों का विशेषाधिकार सभी पर सामाजिक समानता और न्याय को आगे बढ़ाने की बड़ी जिम्मेदारी डालता है। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) परोपकारी मार्ग पर चलेगी।
जस्टिस करोल ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी पैसे कमाने का जरिया नहीं बनेगी, बल्कि परोपकारी बनेगी।"
असहज सच्चाई यह है कि पिछले कुछ वर्षों में संपन्न और निर्धन के बीच का अंतर केवल बढ़ा है।न्यायमूर्ति संजय करोल
उन्होंने कहा कि कई समुदायों में व्यवस्थित भेदभाव के कारण ही कुछ लोगों के हाथों में संपत्ति का संकेन्द्रण हुआ है।
न्यायमूर्ति करोल ने कहा, "भारत ने आर्थिक विकास में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन असहज सच्चाई यह है कि संपन्न और निर्धन के बीच का अंतर बढ़ता ही जा रहा है और पिछले कुछ वर्षों में यह और भी अधिक बढ़ गया है। कई समुदायों में व्यवस्थित भेदभाव है और कुछ लोगों के हाथों में धन का संकेन्द्रण बढ़ गया है। अधिकतम संसाधनों वाले एक प्रतिशत लोगों के पास असंगत मात्रा में संपत्ति है।"
मैं आशा करता हूं कि जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी धन कमाने का साधन न बने, बल्कि परोपकारी बने।न्यायमूर्ति संजय करोल
केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश सुधांशु धूलिया, सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक न्यायालय के न्यायाधीश ए.के. सीकरी, भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमानी और वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ लूथरा एवं गीता लूथरा भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
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Economic inequality has risen; hope Jindal University pursues philanthropy: Justice Sanjay Karol