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अतिरिक्त जिला न्यायाधीश का फास्ट ट्रैक कोर्ट संरक्षक और वार्ड अधिनियम के तहत मामलो की सुनवाई के लिए सक्षम: कलकत्ता हाईकोर्ट

Bar & Bench

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा कि एक अतिरिक्त जिला न्यायाधीश, फास्ट ट्रैक कोर्ट जहां तक न्यायिक कार्य का संबंध है, जिला न्यायालय के अधीनस्थ नहीं है और ऐसा फास्ट ट्रैक कोर्ट 1890 के संरक्षक और वार्ड अधिनियम के तहत उच्च न्यायालय से किसी भी सामान्य या विशेष आदेश के बिना मामले की सुनवाई करने के लिए सक्षम है। [तमिलका बोस बनाम मुकुट बोस

हालांकि, जस्टिस केसंग डोमा भूटिया ने कहा कि फास्ट ट्रैक कोर्ट स्वतंत्र रूप से संरक्षक और वार्ड अधिनियम के तहत किसी भी आवेदन की प्रस्तुति प्राप्त नहीं कर सकता है, लेकिन केवल जिला न्यायाधीश द्वारा उन्हें सौंपे गए कार्यों का निर्वहन कर सकता है।

कोर्ट ने कहा, "1890 के अधिनियम के तहत आवेदन पर विचार करने का अधिकार क्षेत्र विशेष रूप से जिला न्यायाधीश पर जिला के भीतर अपने अधिकार क्षेत्र की स्थानीय सीमाओं पर मूल क्षेत्राधिकार के सिविल न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश होने पर निहित है। जब अधिनियम के तहत एक आवेदन जिला न्यायाधीश द्वारा अतिरिक्त जिला न्यायाधीश को हस्तांतरित किया जाता है, तो अतिरिक्त जिला न्यायाधीश उक्त आवेदन पर जिला न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में विचार करने के लिए सक्षम होता है और उक्त की धारा 4 ए के तहत प्राधिकरण के अभाव में उसकी क्षमता को चुनौती नहीं दी जा सकती है।"

[आदेश पढ़ें]

Smt__Tamalika_Bose__v_Mukut_Bose.pdf
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Fast Track Court of Addl. District Judge competent to hear matters under Guardians and Wards Act: Calcutta High Court