मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक हिंदू महिला की कस्टडी की मांग वाली हेबियस कॉर्पस पिटीशन पर कोई भी ऑर्डर पास करने से मना कर दिया है, जिसने अपने माता-पिता के साथ रहने से मना कर दिया था। [संदीप चौधरी बनाम पुलिस सुपरिटेंडेंट और अन्य]
चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच का यह फैसला हाईकोर्ट की एक और डिवीजन बेंच के उस फैसले के कुछ दिनों बाद आया है, जिसमें उसने महिला को बिना शादी के अपने मुस्लिम पार्टनर के साथ रहने की इजाजत देने से मना कर दिया था।
डिवीजन बेंच ने 18 नवंबर को पास किए गए एक ऑर्डर में कहा, “क्योंकि लड़की बालिग है और किसी गलत तरीके से कैद में नहीं है और अपनी मर्जी से अपने माता-पिता के घर नहीं लौटना चाहती, इसलिए पिटीशन में आगे कोई ऑर्डर नहीं चाहिए। इसलिए पिटीशन का निपटारा किया जाता है।”
14 नवंबर को, जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस प्रदीप मित्तल की डिवीजन बेंच ने महिला को “सेफ कस्टडी” के लिए जबलपुर के वन स्टॉप सेंटर भेज दिया था। यह निर्देश तब दिया गया जब महिला ने कहा कि वह अपने माता-पिता के साथ नहीं जाना चाहती।
कोर्ट ने आदेश दिया, “चूंकि अभी कॉर्पस ने शादी नहीं की है; इसलिए, उसे रेस्पोंडेंट नंबर 4 के साथ बिना शादी के रहने की इजाज़त नहीं दी जा सकती। उसे सेफ कस्टडी में जबलपुर के वन स्टॉप सेंटर ले जाया जाए और अगली सुनवाई की तारीख यानी 18.11.2025 को पेश किया जाए।”
मंगलवार को, यह मामला चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच के सामने लिस्ट किया गया था। महिला ने अपना बयान दोहराया कि उसने अपनी मर्ज़ी से अपने माता-पिता का घर छोड़ा था। उसने यह भी कहा कि उसके कुछ डॉक्यूमेंट्स अभी भी माता-पिता के पास हैं।
यह देखते हुए कि वह बालिग है, कोर्ट ने उसके परिवार की अर्जी पर कोई भी आदेश देने से मना कर दिया।
पिटीशनर की तरफ से एडवोकेट ऋत्विक दीक्षित ने केस लड़ा।
स्टेट की तरफ से एडवोकेट अनुभव जैन ने केस लड़ा।
[आदेश पढ़ें]
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