Supreme Court, BCI and AIBE  
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"पढ़ो भाई": सुप्रीम कोर्ट ने AIBE के पास मार्क्स कम करने से किया इनकार

न्यायालय ने कहा कि मौजूदा कटऑफ अंकों को और कम करने से कानून का अभ्यास करने के लिए योग्य व्यक्तियों की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

Bar & Bench

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई) के लिए उत्तीर्ण अंकों को कम करने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। [रणजीत सिंह एवं अन्य बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया]

याचिका को खारिज करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की तीन न्यायाधीशों वाली पीठ ने कहा कि मौजूदा कटऑफ अंकों को और कम करने से कानून का अभ्यास करने के लिए योग्य व्यक्तियों की गुणवत्ता प्रभावित होगी।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने हैरानी जताते हुए कहा, "कटऑफ को और कितना कम किया जा सकता है? पढ़ो भाई।"

Justice JB Pardiwala, CJI DY Chandrachud, Justice Manoj Misra

बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा आयोजित एआईबीई परीक्षा को भारतीय न्यायालयों में वकालत करने के लिए विधि स्नातकों द्वारा उत्तीर्ण होना आवश्यक है।

सामान्य और ओबीसी श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए वर्तमान कटऑफ 100 में से 45 है, जबकि एससी/एसटी उम्मीदवारों के लिए यह 40 है।

सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई अधिनियम) के तहत हाल ही में प्राप्त प्रतिक्रिया के अनुसार, 10 दिसंबर, 2023 को आयोजित अखिल भारतीय बार परीक्षा (एआईबीई-18) के 18वें संस्करण में केवल 48.36% उम्मीदवार ही उत्तीर्ण हुए हैं।

बीसीआई ने खुलासा किया था कि कुल 1,48,781 उम्मीदवारों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था, जिनमें से 1,44,014 उपस्थित हुए।

उपस्थित होने वाले लोगों में से 69,646 (48.36%) उत्तीर्ण हुए और 74,368 (51.64%) असफल रहे।

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"Padho bhai": Supreme Court refuses to reduce AIBE pass marks