सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत बीमार या अशक्त व्यक्तियों को जमानत देने की आवश्यकता पर बल दिया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस बात पर जोर दिया कि पीएमएलए जैसे कानून जमानत देने के मामले में सख्त हैं, लेकिन न्यायालय को कानूनी सिद्धांतों के दायरे में रहकर काम करना चाहिए।
न्यायालय ने कहा, "पीएमएलए चाहे कितना भी सख्त क्यों न हो, हमें कानून के अनुसार काम करना होगा। अगर कोई बीमार या अशक्त है तो उसे जमानत दी जा सकती है। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखें।"
तदनुसार, न्यायालय ने धन शोधन के अपराध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा गिरफ्तार सेवा विकास सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष अमर साधुराम मूलचंदानी को अंतरिम जमानत दे दी।
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However strict PMLA provisions are, sick and infirm can be granted bail: Supreme Court