प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के समक्ष एक याचिका दायर की है, जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व राज्य मंत्री, चौधरी लाल सिंह को दी गई जमानत रद्द करने की मांग की गई है। [भारत संघ बनाम चौधरी लाल सिंह]
धनशोधन मामले में सिंह की पत्नी द्वारा संचालित एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) द्वारा कुछ भूमि के अधिग्रहण में अनियमितताएं बरतने के आरोप हैं।
जम्मू में प्रधान जिला और सत्र न्यायालय ने 23 नवंबर, 2023 को इस मामले में सिंह को अंतरिम जमानत दी थी।
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय सत्र अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली ईडी की याचिका पर अप्रैल में सुनवाई करने के लिए तैयार है।
यह मामला न्यायमूर्ति संजय धर के समक्ष पिछले मंगलवार (26 मार्च) को सूचीबद्ध किया गया था, लेकिन समय की कमी के कारण इसकी सुनवाई नहीं हो सकी थी। इसलिए मामले की सुनवाई 20 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी गई।
गौरतलब है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) छोड़कर कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में सिंह आगामी लोकसभा चुनाव में उधमपुर निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं।
सिंह ने कठुआ बलात्कार मामले में तत्कालीन आरोपियों के समर्थन में एक रैली में भाग लेने के लिए आलोचना का सामना करने के बाद 2018 में जम्मू-कश्मीर मंत्री के रूप में अपना पद छोड़ दिया था और भाजपा छोड़ दी थी।
उधमपुर में चुनाव 19 अप्रैल को होने हैं जिसके एक दिन बाद उच्च न्यायालय ने उनकी जमानत रद्द करने और उन्हें वापस जेल भेजने की ईडी की याचिका सूचीबद्ध की है।
लाल सिंह की पत्नी और बेटी क्रांति सिंह भी इसी मामले में जमानत पर हैं।
ईडी ने धनशोधन मामले में सिंह को मिली जमानत को इस आधार पर चुनौती दी थी कि जम्मू की सत्र अदालत के पास इस मामले की सुनवाई करने का अधिकार क्षेत्र नहीं है।
ईडी ने दलील दी कि इस मामले को धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के तहत मामलों की सुनवाई कर रही विशेष अदालत को देखना चाहिए था।
भारत के उप सॉलिसिटर जनरल विशाल शर्मा उच्च न्यायालय के समक्ष केंद्र सरकार के लिए पेश हुए।
चौधरी लाल सिंह का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता आरके कोतवाल और फहीम अहमद मीर ने किया।
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