केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक अदालत ने बुधवार को केरल के कोट्टायम जिले में एक सम्मेलन में फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को 1992 में सिस्टर अभया की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
इसके अतिरिक्त दोनों को प्रत्येक 5 लाख रुपए का जुर्माना देना आवश्यक है।
कल, सीबीआई न्यायाधीश के॰ सनिलकुमार ने 28 साल पुरानी हत्या की जाँच में फादर थॉमस कोट्टूर और सिस्टर सेफी को दोषी ठहराया।
दोनों को हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी पाया गया।
तीसरे आरोपी फादर जोस पुथ्रुकायिल को सबूतों के अभाव में 2018 में मामले से रिहा कर दिया गया।
केरल के कोट्टायम जिले के एक कॉन्वेंट में सिस्टर अभया की हत्या के 28 साल बाद फैसला आया।
उसका शरीर 27,1992 मार्च को कॉन्वेंट के कुएं के अंदर मिला था।
इस मामले ने खुद कई मोड़ देखे और इससे पहले कि यह अंततः अदालत में आजमाया गया था।
राज्य पुलिस ने 1993 में सिस्टर अभया की मौत् को आत्महत्या बताते हुये इसे बंद करने के लिये रिपोर्ट दाखिल की थी। इसके बाद एक्टिविस्ट जॉमन पुथेनपुराकल इस मामले को अदालत ले गये जहां से यह केन्द्रीय जांच ब्यूरो को जांच के लिये सौंपा गया।
हालांकि, 1996 में सीबीआई ने अदालत में अपनी रिर्पोट में कहा कि वह इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है कि क्या यह हत्या थी या आत्महत्या। हालांकि,अदालत ने इसे अस्वीकारकरके इसमें फिर से जांच का आदेश दिया।
एक साल बाद सीबीआई इस नतीजे पर पहुंची कि निश्चित ही यह हत्या का मामला है लेकिन इसमें मुकदमा चलाने के साक्ष्य नहीं हे।
अदालत ने एक बार फिर इसे अस्वीकार कर दिया और सीबीआई ने मामले की तीसरी बार जांच की। करीब दस साल बाद, सीबीआई ने इस मामले में पहली गिरफ्तारी की। जांच ब्यूरो ने 2008 में फादर थॉमस कोट्टूर, फादर जोस पूथु्रकायिल और सिस्टर सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया।
इन सभी को केरल उच्च न्यायालय ने 2009 में जमानत पर रिहा कर दिया था।
इस साल उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति वीजी अरूण की एकल पीठ ने इस तथ्य का जिक्र किया कि इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में काफी लंबा वक्त लग गया है। न्यायालय ने इस मुकदमे की रोजाना सुनवाई करके न्याय चक्र को रोकने का आदेश दिया था।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें