एक वकील पर उसकी कार में अकेले ड्राइव करते समय मास्क न पहनने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया और उन्होने 10 लाख रुपये के मुआवजे की मांग के रूप मे दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया। (सौरभ शर्मा बनाम उप-मंडल मजिस्ट्रेट, पूर्व & अन्य)
याचिकाकर्ता, अधिवक्ता सौरभ शर्मा, 20 साल से वकालत का पेशा करने वाले एक वकील हैं।
याचिकाकर्ता के अनुसार, 9 सितंबर को, जब वह अपने कार्यालय के रास्ते में था, उसे दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने गीता कॉलोनी के पास रोक लिया।
यह बताया गया कि अधिकारियों में से एक ने सबसे पहले उसकी फोटो खींची, जब वह अपनी कार में बैठे थे और फिर उनसे पूछताछ की।
याचिकाकर्ता ने बताया "पूछताछ पर, याचिकाकर्ता को सूचित किया गया कि चूंकि वह बिना मास्क पहने अपनी कार में यात्रा कर रहा था, इसलिए उसे सार्वजनिक स्थान पर मास्क नहीं पहनने के अपराध के तहत 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।"
यद्यपि याचिकाकर्ता ने अधिकारियों को "प्रभाव डालने की कोशिश" की, क्योंकि वह अकेले यात्रा कर रहा था, उसने कोई अपराध नहीं किया था, अधिकारियों द्वारा याचिकाकर्ता की कोई भी बात नहीं सुनी और एक चालान जारी किया गया।
इसके बाद याचिकाकर्ता द्वारा अधिकारियों के विरोध के तहत जुर्माना का भुगतान किया गया।
यह तर्क देते हुए कि "अन्यायपूर्ण और अवैध रोक" और "जबरन वसूली" के कारण "भारी मानसिक अशांति और उत्पीड़न" के मद्देनजर, याचिकाकर्ता ने न केवल उसके द्वारा अदा किए गए 500 रुपये के रिफंड की मांग की है बल्कि दिल्ली सरकार से 10,00,000 रुपये के मुआवजे के लिए भी प्रार्थना की है।
कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में, याचिकाकर्ता ने प्रस्तुत किया है कि अकेले यात्रा करते समय किसी निजी वाहन में अकेले व्यक्ति को मास्क नहीं पहनने का कोई चालान नहीं हो सकता है क्योंकि यह "सार्वजनिक स्थान" नहीं है।
याचिका के अनुसार ".. कार में अकेले बैठकर मास्क पहनना किसी के स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है, बल्कि हर समय इसे पहने रहने पर भी जब कोई व्यक्ति अकेला होता है तो निश्चित रूप से खुद के स्वास्थ्य के लिए खतरा होता है।"
यह जोड़ा गया है कि अकेले यात्रा करते समय लोगों को मास्क पहनने का निर्देश देने वाला कोई कार्यकारी आदेश नहीं दिया गया है और इस प्रकार, अधिकारियों द्वारा आम जनता पर लगाए गए ऐसे किसी भी जुर्माने को रद्द किया जा सकता है।
इस याचिका पर आज न्यायधीश नवीन चावला की एकल पीठ ने सुनवाई की।
याचिकाकर्ता के वकील की सुनवाई करने के बाद, अदालत ने संबंधित अधिकारियों से प्रासंगिक दस्तावेज की मांग की।
याचिकाकर्ता का प्रतिनिधित्व एडवोकेट केसी मित्तल ने एडवोकेट युगेश मित्तल के साथ किया। याचिका एडवोकेट जोबी पी वर्गीज के माध्यम से दायर की गई थी।
इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी।
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