वादकरण

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल का प्रशांत भूषण पर हाल ही मे किये गये ट्विट के लिये अवमानना कार्यवाही के लिये मंजूरी से इंकार

उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता सुनील सिंह ने सीजेआई की कान्हा राष्ट्रीय उद्यान की यात्रा को लेकर भूषण द्वारा किये गये ट्विट पर उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिये अनुमति मांगी थी

Bar & Bench

अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे की मध्य प्रदेश यात्रा के संदर्भ में अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा हाल ही किये गये ट्विट के लिये उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। अटार्नी जनरल ने कहा है कि भूषण ने इस पर ‘‘खेद व्यक्त कर’’ दिया है।

अधिवक्ता सुनील सिह ने ‘‘सीजेआई बोबडे के निजी जीवन को उनके समक्ष लंबित मामले’’ से जोड़ते हुये अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा किये गये ट्विट के लिये उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिये अटार्नी जनरल से अनुमति मांगी थी।

पत्र में कहा गया था कि भूषण का ट्विट अनेक समाचार पत्रों में प्रकाशित हुअ था और यह ‘‘ट्विट उच्चतम न्यायालय को बदनाम, न्यायिक कार्यवाही और न्याय के प्रशासन को प्रभावित तथा इसमें हस्तक्षेप करता है।’’

पत्र में आगे लिखा गया,

‘‘सामान्य विधिक क्षेत्राधिकार में, संभवत: न्यायालय की अवमानना की सबसे अधिक महत्वूपर्ण भूमिका न्यायाधीन नियम का लागू होना है, किसी को भी लंबित में कानूनी कार्यवाही में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। व्यवहार में, इस नियम का इस्तेमाल सामान्यत: किसी लंबित मुकदमे की निष्पक्ष सुनवाई के प्रभावित होने की संभावना या फिर ‘मीडिया ट्रायल’ रोकने के इरादे से संबंधित सामग्री का प्रकाशन निषिद्ध करने के लिेये होता है।’’

हालांकि, अटार्नी जनरल ने भूषण के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिये अनुमति देने से यह कहते हुये इंकार कर दिया कि उन्होंने पहले ही खेद व्यक्त कर दिया है।

‘‘मैं नहीं समझता कि बाद में किये गये ट्विट को ध्यान में रखते हुये मूल ट्विट के आधार पर कार्यवाही के लिये अनुमति देना जनहित में होगा।’’
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल

अटार्नी जनरल ने कहा कि प्रधान न्यायाधीश सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारी हैं और मध्य प्रदेश राज्य अतिथि नियम, 2011 के अनुसार प्रधान न्यायाधीश राजकीय अतिथि हैं और उन्हें इसके अनुरूप सुविधायें प्रदान करना कर्तवय है।

अटार्नी जनरल ने आगे लिखा कि प्रधान न्यायाधीश की यात्रा वाला क्षेत्र माओवाद से ग्रस्त इलाका है और इसीलिए उन्हें हेलीकाप्टर की सुविधा प्रदान की गयी थी।

इस विवादास्पद ट्विट के बाद प्रशांत भूषण ने एक अन्य ट्विट में कहा कि उनका यह कहना गलत था कि राज्य सरकार की किस्मत प्रधान न्यायाधीश एसए बोबडे के समक्ष लंबित मामले पर निर्भर है।

इस साल अगस्त के महीने में ही उच्चतम न्यायालय ने प्रधान न्यायाधीश के एक मोटरसाइकिल पर सवार होने संबंधी एक तस्वीर और पिछले छह साल में न्यायालय की भूमिका के बारे में प्रशांत भूषण के ट्विट के लिये उन्हें न्यायालय की अवमानना का दोषी ठहराया था। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि इन ट्विट ने संस्था के रूप में उच्चतम न्यायालय को बदनाम किया है।

हालांकि, प्रशांत भूषण को एक रूपए का सांकेतिक जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया था लेकिन न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि इस तरह के ‘फूहड.’ ट्विट्स से संचारित अनादर और वैमनस्य को न्यायालय नजरअंदाज नहीं कर सकता।

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He has expressed regret: AG KK Venugopal declines consent to initiate contempt proceedings against Prashant Bhushan for recent tweet