इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक पत्रकार को अंतरिम जमानत दे दी है, जिसे उत्तर प्रदेश में अधिकारियों द्वारा चुनावी कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए ट्वीट करने के बाद दंगा और गैरकानूनी सभा के लिए आरोपित किया गया था।
न्यायमूर्ति राजीव सिंह की एकल-न्यायाधीश पीठ ने पत्रकार के एक रिश्तेदार को भी अंतरिम जमानत दे दी।
अदालत ने कहा कि यह स्पष्ट है कि अधिकारियों के कुप्रबंधन को आवेदक द्वारा ट्विटर पर दिखाया गया था जो एक पत्रकार है और अन्य आवेदक उससे संबंधित है।
अदालत ने आदेश दिया कि, "ऊपर बताए गए कारणों और मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि अधिकारियों के कुप्रबंधन को आवेदक नंबर 1 द्वारा ट्विटर पर फ्लैश किया गया था जो पत्रकार है और अन्य आवेदक उससे संबंधित है, इसलिए आवेदक अंतरिम जमानत के हकदार हैं। सूचीबद्ध होने की अगली तिथि तक उक्त मामले में आवेदक शिव प्रसाद उर्फ शिव प्रसाद हरिजन एवं रामधारी की गिरफ्तारी की स्थिति में संबंधित थाने के थाना प्रभारी द्वारा उनके द्वारा 50000 रुपये का निजी बांड प्रस्तुत करने पर उन्हें तत्काल रिहा कर दिया जायेगा।"
घटना 19 अप्रैल की है जब आवेदक नं. 1 पत्रकार हिन्दी समाचार पत्र प्रताप किरण के लिए ग्राम उत्कर्ष में ग्राम पंचायत चुनाव से संबंधित समाचारों को कवर कर रहे थे।
उन्होंने ट्विटर हैंडल के माध्यम से अधिकारियों और प्रभावशाली लोगों द्वारा मतदान केंद्र पर अनियमितता की खबर की सूचना दी।
पुलिस ने "ग्रामीणों द्वारा गोलीबारी का सामान्य आरोप" लगाया, जिसके कारण ग्रामीणों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई।
यह प्रस्तुत किया गया था कि, दो आवेदकों के खिलाफ प्राथमिकी भी केवल इस नाराजगी के कारण दर्ज की गई थी कि आवेदक नंबर 1 चुनाव और अधिकारियों के कुप्रबंधन के संबंध में समाचार को कवर कर रहा था।
आवेदकों पर धारा भारतीय दंड सहिंता की धारा 147 (दंगा करने की सजा), 148 (हथियार से दंगा), 149 (गैरकानूनी सभा का प्रत्येक सदस्य सामान्य उद्देश्य के अभियोजन में किए गए अपराध का दोषी), 395 (डकैती की सजा), 397 (डकैती या मौत या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास), 332 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य से रोकने के लिए स्वेच्छा से चोट पहुँचाना), 343 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा), 427 (पचास रुपये की राशि का नुकसान पहुंचाने वाली शरारत), 336 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कार्य), 307 (हत्या का प्रयास), 34 (सामान्य मंशा) और आपराधिक कानून संशोधन अधिनियम की धारा 7 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 131, 132 (3), 135 (ए) के तहत आरोप लगाए गए थे
अपर शासकीय अधिवक्ता ने आवेदकों की प्रार्थना का विरोध करते हुए कहा कि प्राथमिकी एवं निर्देशानुसार, ग्रामीणों ने आवेदकों के साथ मतपेटी को नष्ट करने का प्रयास किया और ग्रामीणों द्वारा फायरिंग भी की गयी।
रिकॉर्ड में रखे गए तथ्यों और सामग्रियों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने पत्रकार और उसके रिश्तेदार दोनों को जमानत दे दी।
मामले की अगली सुनवाई एक जुलाई को होगी जब जमानत अर्जी पर अंतिम रूप से फैसला होगा।
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