इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 14 जुलाई से शारीरिक सुनवाई फिर से शुरू करने का फैसला किया है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी की अध्यक्षता वाली एक समिति ने इस संबंध में निर्णय लिया।
कोर्ट की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अगर कोई वकील वर्चुअल सुनवाई का विकल्प चुनना चाहता है तो रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय को पूर्व नोटिस देना होगा और अदालत परिसर में केवल उन्हीं वकीलों को जाने की अनुमति होगी, जिनके मामले सूचीबद्ध हैं।
इसने आगे कहा कि वकीलों को अदालत परिसर में प्रवेश के समय एक COVID-19 वैक्सीन प्रमाण पत्र दिखाना होगा।
निम्नलिखित दिशानिर्देश जारी किए गए हैं:
यदि कोविड-19 टीकाकरण प्रमाण पत्र नहीं दिखाया गया तो खुली अदालत में शारीरिक सुनवाई की योजना स्थगित की जा सकती है।
कोर्ट परिसर में सभी के लिए मास्क पहनना और सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।
10 से अधिक अधिवक्ताओं को न्यायालय कक्ष में उपस्थित होने की अनुमति नहीं होगी।
अधिसूचना में गाउन पहनने से छूट दी गई है और कोर्ट परिसर के अंदर पान, तंबाकू, गुटखा आदि का सेवन सख्त वर्जित है। परिसर में थूकने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
परिसर, दरवाजों आदि का समय-समय पर सैनिटाइजेशन किया जाएगा।
शहर में लगातार तीन दिनों तक 50 से अधिक कोविड पॉजिटिव केस पाए जाने पर ओपन कोर्ट में सुनवाई/शारीरिक सुनवाई की व्यवस्था ठप हो जाएगी।
फिलहाल वकीलों के चैंबर बंद रहेंगे।
[दिशानिर्देश पढ़ें]
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