बंबई उच्च न्यायालय ने एंटीलिया बम कांड और व्यवसायी मनसुखलाल हिरेन की हत्या के आरोपी पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा की जमानत याचिका सोमवार को खारिज कर दी।
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस आरएन लड्डा की खंडपीठ ने जमानत याचिका खारिज करते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा की गई जांच पर असंतोष व्यक्त किया।
रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों को देखने के बाद, अदालत प्रथम दृष्टया एनआईए की चार्जशीट से सामग्री खोजने में विफल रही, जिससे यह संकेत मिलता है कि शर्मा एंटीलिया के बाहर स्कॉर्पियो कार में जिलेटिन की छड़ें लगाने और पार्किंग करने में शामिल थे।
कोर्ट ने कहा, "अगर यह एनआईए का मामला था, तो वे चुप क्यों रहे और चार्जशीट में इसका खुलासा नहीं किया, यह हैरान करने वाला है।"
अदालत ने यह भी कहा कि एजेंसी बम के मामले में गहन जांच करने में विफल रही है।
कोर्ट ने अपने 53 पन्नों के आदेश में कहा, "हम प्रथम दृष्टया पाते हैं कि एनआईए ने स्कॉर्पियो वाहन में जिलेटिन की छड़ें लगाने में शामिल सह साजिशकर्ताओं के संबंध में जांच नहीं की है।"
अदालत ने, हालांकि, शर्मा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया, क्योंकि रिकॉर्ड में सामग्री पाई गई थी, जिसमें व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या में शर्मा की मिलीभगत की ओर इशारा किया गया था।
शर्मा के साथ मुंबई के बर्खास्त सिपाही सचिन वाज़े सहित अन्य आरोपियों पर उद्योगपति मुकेश अंबानी के आवास के पास एक विस्फोटक लदी एसयूवी रखने की साजिश रचने का आरोप है।
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