अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने उच्चतम न्यायालय से आज अनुरोध किया कि वह अपनी कार्यवाही के सीधे प्रसारण के बारे में विचार करे। उन्होंने कहा कि मुवक्किलों के लिये यह जानना जरूरी है कि उनके मुकदमे में क्या हो रहा है।
मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव की पीठ के समक्ष अटार्नी जनरल ने यह सुझाव उस समय दिया जब वह कोविड-19 महामारी के दौरान वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से मुकदमों की सुनवाई के बारे में दिशा निर्देशों के बारे में स्वत: शुरू की गयी कार्यवाही के मामले की सुनवाई कर रही थी।
वेणुगोपाल ने मद्रास और गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य नयाधीश की न्यायालय की कार्यवाही के सीधे प्रसारण के फैसले का उदाहरण देते हुये कहा कि यह उच्चतम न्यायालय को ऐसा करने पर विचार करना चाहिए।
‘‘मैं मद्रास उच्च न्यायालय की कार्यवाही का सीधा प्रसारण देख रहा था। इसमें कोई गड़बड़ी नहीं थी। सीधे प्रसारण का मुद्दा आपके एजेन्डा में होना चाहिए ताकि देश भर में सुनवाई देखी जा सके। यह किसी भी मामले के लिये हो सकता है।’’अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल
मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि उन्हें खुद इस बारे में सुनना चाहिए क्योंकि वही हैं जो सारी शिकायतें सुनते हैं।
यह मामला एक बार फिर वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने उठाया जिन्होंने मुख्य न्यायाधीश को याद दिलाते हुये कहा कि वह सीध्रे प्रसारण के बारे में कुछ कहना चाहते हैं। हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने सार्वजनिक रूप से इस पर कोई टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सीधा प्रसारण होने की वजह से लोग सिर्फ इस वजह से ही याचिका दायर करेंगे कि यह पूरे देश में सुना जायेगा।
बहरहाल, अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने बार बार कहा कि न्यायालय को सीधे प्रसारण के बारे में उनके आग्रह पर विचार करना चाहिए क्योंकि ‘‘मुवक्किलों को यह जानने का हक है कि न्यायालयों में क्या हो रहा है।’’
मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने टिप्पणी की कि इस बारे में शीघ्र ही निर्णय लिया जायेगा।
अटार्नी जनरल ने यह भी सुझाव दिया कि इसकी व्यवस्था इस तरह की जानी चाहिए कि स्मार्ट फोन वर्चुअल सुनवाई के लिये काफी हो। यह ग्रामीण इलाकों में वकीलों के लिये लाभकारी होगा जहां लैपटॉप या दूसरी जरूरी सुविधायें नहीं हैं।
इस पर मुख्य न्यायाधीश ने टिप्पणी की कि केन्द्र को उस टैबलेट को पुनर्जीवित करने पर विचार करना चाहिए जिले कुछ साल पहले शुरू किया गया था।
‘‘कुछ साल पहले, केन्द्र ने किसी को प्रोत्साहित किया था जिसने 4000 से 5000 रूपए में टेबलेट तैयार किये थे। इस तरह के टैबलेट वर्चुअल न्यायालय परियोजना में काफी मददगार होंगे।’’मुख्य न्यायाधीश बोबडे
कोविड-19 के दौरान वर्चुअल सुनवाई के मुद्दे पर जारी दिशा निर्देशों में थोड़ा बदलाव करते हुये उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि उच्च न्यायालय वीडियो कांफ्रेंसिंग के बारे में अपने अपने नियमों का पालन कर सकते हैं।
पीठ ने कहा कि एक उच्च न्यायालय द्वारा तैयार किये गये नियम अपीली कार्यवाही के साथ ही निचली अदालत में सुनवाई के मुकदमों पर भी लागू होंगे।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आज खुलासा किया कि उच्चतम न्यायालय की ई-कमेटी द्वारा बनाये गये मॉडल नियमों के आधार पर 11 उच्च न्यायालय वर्चुअल सुनवाई के लिये अपने नियम तैयार कर चुके हैं।
मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि जिन न्यायालयों ने नियम नहीं तैयार किये हैं वे ऐसा करेंगे और इस बीच उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा बनाये गये नियमों का पालन करेंगे।
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