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[ब्रेकिंग] बीबीएमपी के 198 वार्ड के लिये 6 सप्ताह में चुनाव घोषित किये जायें: कनार्टक उच्च न्यायालय

Bar & Bench

कनार्टक उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को आदेश दिया कि बृहत बेंगलुरू महानगर पालिका (बीबीएमपी) के 198 वार्ड के चुनाव छह सप्ताह के भीतर घोषित किये जाने चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और न्यायमूर्ति विश्वजीत शेट्टी ने कर्नाटक नगर निगम तृतीय संशोधन कानून, 2020 (संशोधित कानून) को वैध ठहराया लेकिन यह व्यवस्था दी कि यह संशोधित कानून उन चुनावों पर लागू नहीं होगा जिन्हें इन संशोधन से पहले ही सम्पन्न हो जाना चाहिए था।

पीठ ने इस मामले में 26 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित किया था।

न्यायालय ने बृहत बेंगलुरू महानगर पालिका के चुनाव समय पर कराने के लिये राज्य सरकार को निर्देश देने के अनुरोध के साथ दायर तीन याचिकाओं पर फैसला सुनाया। इस मामले में पहली याचिका एम- शिवराजू ने दायर की थी। राज्य निर्वाचन आयोग ने दूसरी याचिका दायर की थी जबकि तीसरी याचिका रवि जाजन ने दायर की थी।

राज्य की ओर से पेश महाधिवक्ता प्रभुलिंग नवाद्गी ने हाल में बनाये गये कर्नाटक नगर निगम तृतीय संशोधन कानून, 2020 (संशोधित कानून) का समर्थन किया था।

राज्य विधान मंडल ने वार्ड की संख्या 198 से बढ़ाकर 225 करने के लिये कर्नाटक नगर निगम कानून में संशोधन किया था जबकि बीबीएमपी के प्रशासन के लिये अलग से कानून बनाने का प्रस्ताव लंबित था।

नवाद्गी ने दलील दी थी कि वैधानिक तरीके से बनाये गये किसी कानून को सिर्फ तीन आधारों—विधायी क्षमता का अभाव, मौलिक अधिकारों का हनन, और अगर यह पूरी तरह मनमाना हो- पर ही निरस्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इन तीन आधारों के अभाव में सरकार को राज्य विधान मंडल द्वारा बनाये गये कानून की वैधता नजरअंदाज करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता।

बीबीएमपी के चुनाव समय पर कराने के अनुरोध के मुद्दे पर नवाद्गी ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को इस पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि वास्तव में वह परिसीमन की नयी प्रक्रिया और इसके बाद चुनाव कराने के बारे में सभी निर्देशों का तहेदिन से स्वागत करेगी।

एक अन्य याचिकाकर्ता प्रो रविवर्मा कुमार ने दलील दी कि राज्य निर्वाचन आयोग ने जुलाई 2018 से वार्डो के परिसीमन और आरक्षण की कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के अनुरोध के साथ राज्य सरकार को करीब एक दर्जन पत्र लिखे लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। कुमार ने कहा कि इसी वजह से राज्य निर्वाचन आयोग भी सरकार को निर्देश दिलाने के लिये उच्च न्यायालय आने के लिये बाध्य हुआ।

उन्होंने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग या याचिकाकर्ताओं को ही हर बार समय पर चुनाव कराने का राज्य सरकार को निर्देश देने के लिये न्यायालय आना पड़ता है। उन्होंने कहा कि 2015 में बीबीएमपी के चुनाव कराने में विलंब हुआ और अब 2020 में ग्राम पंचायत चुनाव करने में विलंब हुआ।

कुमार ने इस तथ्य को भी रेखांकित किया कि बीबीएमपी का कार्यकाल इस साल 10 सितंबर को पूरा हो गया और कानून में प्रशासक नियुक्त करने का कोई प्रावधान नहीं है।

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केएन फणीन्द्र ने कहा कि एक साल तक बीबीएमपी के चुनाव कराना संभव नहीं होगा क्येांकि 225 वार्ड के सृजन के लिये परिसीमन की प्रक्रिया में छह महीने लगेंगे। इसके बाद आरक्षण का प्रावधान करने और मतदाता सूची तैयार करने में छह महीने और लगेंगे।

शिवराजू की याचिका में दलील दी गयी थी कि अनुच्छेद 243-यू (3) के अनुसार राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह यह सुनिश्चित करे कि बीबीएमपी का कार्यकाल पूरा होने पहले अर्थात् इस मामले में 10 सितंबर से पहले सम्पन्न हों।

याचिका में कहा गया था कि बेहतर तो यही होता कि चुनाव कराने की प्रक्रिया कई महीने पहले हो जाती ताकि कार्यकाल समाप्त होने की तारीख से पहले इन्हें कराया जा सकता ।

याचिका में कहा गया था कि हालांकि, बेंगुलूरू में 198 वार्ड के चुनाव के लिये मतदाता सूची और आरक्षण आदि के बारे में सरकार ने अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। याचिका में कहा गया कि प्रतिवादियों ने जानबूझ कर समय पर चुनाव कराने के अपने संवैधानिक कर्तव्य की अवहेलना है।

याचिका में इन अधारों पर ही राज्य सरकार को अनुच्छेद 243-यू और कर्नाटक नगर निगम कानून, 1976 की धारा 8 के अनुरूप बीबीएमपी के चुनाव कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

याचिका में वार्ड की संख्या बढ़ाकर 225 करने संबंधी संशोधित कानून को भी इसमे चुनौती दी गयी थी।

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[BREAKING] BBMP elections to 198 wards should be announced within 6 weeks: Karnataka High Court