Stan Swamy, Bombay HC, UAPA 
वादकरण

[ब्रेकिंग] भीमा कोरेगांव के आरोपी फादर स्टेन स्वामी ने UAPA की धारा 43D(5) को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया

स्वामी ने प्रस्तुत किया कि धारा 43 डी (5) किसी भी आरोपी को यूएपीए के तहत जमानत देने के लिए एक अचूक बाधा उत्पन्न करती है और जमानत को भ्रामक बनाती है।

Bar & Bench

भीमा कोरेगांव के आरोपी फादर स्टेन स्वामी ने 1967 के गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 43 डी (5) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। (फादर स्टेन स्वामी बनाम राष्ट्रीय जांच एजेंसी)।

स्वामी ने अपनी रिट याचिका में कहा कि धारा 43 डी (5) किसी भी आरोपी को यूएपीए के तहत जमानत दिए जाने के लिए एक अचूक बाधा उत्पन्न करती है और इस प्रकार यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन करती है।

धारा 43डी(5) इस प्रकार है:

संहिता में किसी बात के होते हुए भी, इस अधिनियम के अध्याय IV और VI के तहत दंडनीय अपराध का कोई भी व्यक्ति, यदि हिरासत में है तो उसे जमानत पर या अपने स्वयं के बांड पर रिहा नहीं किया जाएगा, जब तक कि लोक अभियोजक को ऐसी रिहाई के लिए आवेदन पर सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया हो:

बशर्ते कि ऐसे आरोपी व्यक्ति को जमानत पर या अपने स्वयं के बांड पर रिहा नहीं किया जाएगा यदि कोर्ट की केस डायरी या संहिता की धारा 173 के तहत की गई रिपोर्ट के अवलोकन पर यह राय है कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सही है।

स्वामी ने तर्क दिया कि अदालत द्वारा आरोप के सत्य होने की प्रथम दृष्टया शर्त, आरोपी के लिए जमानत पाने में एक बड़ी बाधा डालती है और जमानत के प्रावधान को भ्रामक बनाती है।

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[BREAKING] "Bail under UAPA illusory:" Bhima Koregaon accused Father Stan Swamy moves Bombay High Court challenging Section 43D(5) of UAPA