राष्ट्रीय गीत 'वंदे मातरम' को राष्ट्रगान 'जन गण मन' के साथ समान दर्जा देने की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष एक जनहित याचिका (PIL) याचिका दायर की गई है।
याचिका भारतीय जनता पार्टी के नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर की गई है, जिसमें तर्क दिया गया है कि 'वंदे मातरम' गीत ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में एक ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और इसे राष्ट्रगान के बराबर सम्मान और दर्जा दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा है कि वंदे मातरम को समान दर्जा देना संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद के बयान की भावना के अनुरूप होगा।
याचिका में यह भी मांग की गई है कि केंद्र और राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्रगान और वंदे मातरम दोनों हर कार्य दिवस पर सभी स्कूलों और शैक्षणिक संस्थानों में बजाया और गाया जाए।
उपाध्याय ने तर्क दिया है कि 'जन गण मन' में व्यक्त भावनाओं को राज्य को ध्यान में रखते हुए व्यक्त किया गया है। हालाँकि, वंदे मातरम ’में व्यक्त भावनाएँ राष्ट्र के चरित्र और शैली को दर्शाती हैं और इसलिए समान सम्मान की पात्र हैं।
याचिका मे कहा गया कि, "इसलिए प्रत्येक नागरिक को न केवल ऐसी किसी भी गतिविधि से बचना चाहिए, बल्कि 'वंदेमातरम' के प्रति किसी भी तरह का अनादर दिखाने की कोशिश करने वाले किसी भी बदमाश को रोकने की पूरी कोशिश करनी चाहिए। हमें अपने राष्ट्र, अपने संविधान, राष्ट्रगान और राष्ट्रीय ध्वज पर गर्व होना चाहिए और राष्ट्रीय हितों को अपने व्यक्तिगत हितों से ऊपर रखना चाहिए और तभी हम अपनी मेहनत से अर्जित स्वतंत्रता और संप्रभुता की रक्षा कर पाएंगे। वंदेमातरम को बढ़ावा देने और प्रचारित करने के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार करना कार्यपालिका का कर्तव्य है।"
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें