Kangana Ranaut 
वादकरण

बंबई उच्च न्यायालय ने कंगना रनौत की संपत्ति ढहाने की बीएमसी की कार्रवाई के खिलाफ उसकी याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

संबंधित पक्षों द्वारा आज ही अपनी लिखित दलीलें दाखिल करने की पुष्टि के बाद न्यायमूर्ति एसजे काथावाला और न्यायमूर्ति आरआई छागला की पीठ ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया

Bar & Bench

बंबई उच्च न्यायालय ने बृहन्नमुंबई नगर निगम द्वारा बालीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत की संपत्ति गिराने की कार्रवाई को चुनौती देने वाली उसकी याचिका पर आज अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

यह मामला न्यायमूर्ति एसजे काथावाला और न्यायमूर्ति आरआई छागलता की पीठ के समक्ष सभी पक्षों की ओर से लिखित दलीलें दाखिल करने के लिये सूचीबद्ध था।

पक्षकारों द्वारा इस बात की पुष्टि करने पर कि उनकी लिखित दलीलें आज ही दाखिल कर दी जायेंगी, न्यायालय ने उनसे जानना चाहा कि क्या उन्हें कुछ और कहना है। वकीलों ने जब नकारात्मक जवाब दिया तो पीठ ने इस मामले में अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया।

कंगना रनौत की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेन्द्र सराफ और अधिवक्ता रिजवान सिद्दीकी पेश हुये जबकि बीएमसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्त अस्पी चिनॉय अधिवक्ता जोएल कार्लोस के साथ तथा वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल सख्रे बीएमसी के पक्षकार बनाये गये अधिकारी एनसी भाग्यवंत लाते की ओर से पेश हुये। अधिवक्ता प्रदीप थोरट शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे।

न्यायालय ने पिछले सप्ताह संबंधित पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनी। उनकी दलीलों की प्रमुख बातें इस प्रकार थीं:

कंगना की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सराफ द्वारा प्रस्तुत तथ्य

सराफ ने 25 सितंबर को बहस शुरू करते हुये दिखाया कि बीएमसी ने कानूनी प्रावधानों और अदालत के आदेशों का उल्लंघन किया है।उन्होंने कहा कि नगर निगम ने दुर्भावनापूर्ण मंशा से यह कार्रवाई की।

उन्होंने न्यायालय के उस प्रशासनिक आदेश का हवाला दिया जिसमें सभी प्राधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि कोविड-19 महामारी के दौरान बेदखली और संपत्ति गिराने से संबंधित कार्रवाई धीरे धीरे की जाये।

उन्होंने कहा कि बीएमसी कंगना रनौत को अपने निर्माण के बारे में वैध अनुमति दिखाने या जुर्माना अदा करके इसे नियमित कराने का अवसर देने संबधी महानगर कानून के प्रावधानों का पालन करने में भी बीएमसी विफल रही ।

सराफ ने कहा कि कंगना को सिर्फ इसलिए बीएमसी ने अपना निशाना बनाया क्योंकि सरकार में सत्तारूढ़ दल से उसका टकराव हुआ था।

अपने इस दावे के पक्ष में उन्होंने एक वीडियो का हवाला दिया जिसमे राउत ने कंगना के एक ट्विट के जवाब में आपत्तिजनक टिप्पणियां की थी।

बीएमसी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चिनॉय की दलीलें

चिनॉय ने दलील दी कि रिट अधिकार क्षेत्र के तहत कंगना की याचिका विचार योग्य नहीं है और उसके पास वाद दायर करने का वैकल्पिक उपाय है।

उन्होंने कहा कि कंगना रिकार्ड पर ऐसा कोई भी साक्ष्य पेश नहीं कर सकीं जिससे यह पता चलता हो कि बीएमसी की उसके खिलाफ कार्रवाई अभूतपूर्व थी।

उन्होंने यह भी कहा कि बीएमसी का कोई राजनीतिक संबंध नहीं है और इस मामले में मीडिया में जाकर कंगना ने ही विवाद पैदा किया।

बीएमसी के हलफनामे का हवाला देते हुये उन्होंने दावा किया कि कंगना खुलेआम गैरकानूनी तरीके से बदलाव कर रहीं थीं और इस पहलू पर वह पूरी तरह खामोश रहीं।

बीएमसी के हलफनामे का हवाला देते हुये उन्होंने दावा किया कि कंगना खुलेआम गैरकानूनी तरीके से बदलाव कर रहीं थीं और इस पहलू पर वह पूरी तरह खामोश रहीं।

बीएमसी के अधिकारी भाग्यवंत लाटे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सख्रे की दलीलें

इस मामले में सुनवाई के दौरान न्यायालय ने कंगना के मामले में अचानक ही दिलचस्पी लेने के लिये बीएमसी के अधिकारियों को आड़े हाथ लिया।

सख्रे ने जवाब दिया कि कंगना यह साबित नहीं कर सकीं हैं कि बीएमसी के अधिकारी की कोई दुर्भावना थी। उन्होंने कहा कि कंगना अगर दुर्भावना का मुद्दा उठाना चाहती हैं तो इसे साबित करने की जिम्मेदारी उन पर अधिक है।

उन्होंने चिनॉय की इस दलील को भी दोहराया कि कंगना को वाद प्रक्रिया के लिये निचली अदालत जाना चाहिए। इस अधिकारी को उसकी निजी हैसियत से पक्षकार बनाया गया है।

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Bombay HC reserves verdict in plea filed by Kangana Ranaut challenging BMC’s demolition of her property