बॉम्बे हाई कोर्ट ने आज फैसला किया कि अदालत के दाखिलों के लिए, दोनों तरफ मुद्रित ए4 आकार के पेपर का उपयोग करने की याचिका को उसके प्रशासनिक पक्ष द्वारा लिया जाएगा।
न्यायालय ने मौखिक रूप से यह भी माना कि इस संबंध मे याचिका से उन्हे खुशी हुई । पीठ ने कहा कि प्रशासनिक पक्ष में न्यायालय द्वारा एक अनुकूल आदेश पारित किया जाएगा।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंडपीठ सुजॉय जोशी पेशेवर अधिवक्ता द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। एडवोकेट अजिंक्य उदाने, अभय अंतूरकर और रंजीत शिंदे ने जोशी का प्रतिनिधित्व किया।
न्यायालय के समक्ष यह प्रस्तुत किया गया कि यदि याचिका की अनुमति दी जाती है तो कागज और संचयन स्थान की भारी बचत होगी, अंततः पृथ्वी पर हरियाली को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
याचिका में दोनों तरफ मुद्रित ए4 पेपर के उपयोग को लागू करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट (अपीलीय पक्ष) नियम, 1960 और बॉम्बे हाईकोर्ट (मूल पक्ष) नियम, 1980 में संशोधन करने के लिए उपयुक्त प्राधिकारी को निर्देश देने की भी मांग की गई।
याचिका में कहा गया है कि इस तरह के निर्देशों में महाराष्ट्र की अधीनस्थ न्यायिक और अर्ध-न्यायिक अदालतें भी शामिल होनी चाहिए।
याचिका में कहा गया है कि ढांचागत और भंडारण संकट से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए, न्यायालयों ने उच्च न्यायालय और जिला न्यायालयों में रिकॉर्ड की स्कैनिंग और डिजिटलीकरण की पहल की थी।
यह बताया गया कि A4 आकार के पेपर के उपयोग से स्कैनिंग को अधिक कुशलता से किया जा सकता है क्यों कि यह आकार में छोटा होता है।
अधिवक्ताओं ने मार्च 2020 में जारी सुप्रीम कोर्ट के परिपत्र पर न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया, जहां A4 आकार के पेपर में फाइलिंग की अनुमति दी गई थी।
उन्होंने देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों की अधिसूचनाओं और निर्देशों के बारे में न्यायालय को अवगत कराया जिसमें हिमाचल प्रदेश, त्रिपुरा, केरल, कर्नाटक, कोलकाता, मे दोनों तरफ मुद्रित A4 आकार के पेपर में प्रस्तुतीकरण की अनुमति दी गयी थी।
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