वादकरण

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस को (अभी के लिए) मुस्लिम व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में दिखाने वाले मॉक ड्रिल करने से रोका

अदालत कार्यकर्ता उसामा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा किए जा रहे मॉकड्रिल मे वेशभूषा और नारेबाजी को दिखाया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि आतंकवादी मुस्लिम थे।

Bar & Bench

बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने हाल ही में स्थानीय पुलिस विभागों को मुस्लिम समुदाय के लोगों को आतंकवादी के रूप में दिखाने के लिए मॉक ड्रिल नहीं करने का निर्देश दिया था। [सईद उस्मा बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य]।

पुलिस बल की दक्षता बढ़ाने और आपातकालीन घटनाओं (जैसे भीड़ का हिंसक रूप लेना या दंगा जैसी स्थिति) के लिए बेहतर तरीके से तैयार होने के लिए जिला स्तर पर पुलिस द्वारा मॉक ड्रिल आयोजित की जाती है।

जस्टिस मंगेश पाटिल और एसजी चपलगांवकर की खंडपीठ ने सरकारी वकील को मॉक ड्रिल आयोजित करने के दिशा-निर्देशों के बारे में अदालत को अवगत कराने के लिए समय दिया।

इस बीच, पीठ ने पुलिस विभाग को यह भी निर्देश दिया कि 10 फरवरी तक किसी विशेष समुदाय के लोगों को आतंकवादी के रूप में दिखाने वाले मॉक ड्रिल न करें।

[आदेश पढ़ें]

SAYED_USAMA_v__STATE_OF_MAHARASHTRA___ORS.pdf
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Bombay High Court restrains police (for now) from conducting mock drills depicting Muslim persons as terrorists