बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को 2:1 बहुमत से सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम, 2021 में संशोधन को औपचारिक रूप से रद्द कर दिया, जिसके तहत केंद्र सरकार को अपनी गतिविधियों पर खबरों को सेंसर करने के लिए तथ्य-जांच इकाइयों (एफसीयू) की स्थापना करने की अनुमति दी गई थी। [कुणाल कामरा बनाम भारत संघ और अन्य तथा संबंधित याचिकाएँ]
जस्टिस एएस गडकरी और नीला गोखले की बेंच ने कॉमेडियन कुणाल कामरा और एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिकाओं पर फैसला सुनाया।
फैसले में कहा गया, "बहुमत की राय को देखते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 के नियम 3(1)(बी)(वी) को असंवैधानिक घोषित किया जाता है और तदनुसार रद्द कर दिया जाता है। तदनुसार याचिकाओं को अनुमति दी जाती है।"
पिछले सप्ताह न्यायमूर्ति ए.एस. चंदुरकर ने संशोधनों के विरुद्ध एक राय जारी की, जो इस वर्ष की शुरुआत में न्यायमूर्ति जी.एस. पटेल और नीला गोखले द्वारा दिए गए विभाजित निर्णय के बाद आई थी।
न्यायमूर्ति पटेल ने संशोधनों का विरोध किया था, जबकि न्यायमूर्ति गोखले ने उन्हें बरकरार रखा था। इसके कारण मामले को सुलझाने के लिए न्यायमूर्ति चंदुरकर को भेजा गया।
न्यायमूर्ति चंदुरकर की राय सुनाए जाने के बाद, मामले को औपचारिक घोषणा के लिए न्यायमूर्ति गडकरी की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष रखा गया, क्योंकि न्यायमूर्ति पटेल इस वर्ष अप्रैल में सेवानिवृत्त हो गए थे।
याचिकाकर्ताओं ने नियम 3 को चुनौती दी, जो सरकार को झूठी ऑनलाइन खबरों की पहचान करने के लिए तथ्य-जांच इकाइयाँ बनाने का अधिकार देता है। उन्होंने तर्क दिया कि संशोधन सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के लिए अल्ट्रा वायर्स (कानूनी अधिकार से परे) थे और संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 19 (1) (ए) (जी) (किसी भी पेशे या व्यापार का अभ्यास करने की स्वतंत्रता) का उल्लंघन करते थे।
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Bombay High Court strikes down IT Rules amendments of 2023 as unconstitutional