मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली गोदरेज एंड बॉयस द्वारा दायर याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
नेशनल हाई-स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHSRCL) की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) अनिल सिंह ने अदालत से कहा कि जो जमीन अभी भी गोदरेज के कब्जे में है, उसे माप करने के लिए सौंप दिया जा सकता है।
जस्टिस आरडी धानुका और एमएम सथाये की खंडपीठ ने हालांकि एनएचएसआरसीएल को कुछ और समय के लिए रोक लगाने को कहा, क्योंकि वे पहले ही इतना लंबा इंतजार कर चुके थे।
राज्य अधिग्रहण प्राधिकरण की ओर से पेश हुए पूर्व महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने बताया कि भूमि अधिग्रहण अधिनियम की धारा 38 में कहा गया है कि एक अधिग्रहण पुरस्कार पारित होने के बाद, संबंधित अधिकारियों को तीन महीने के भीतर कब्जा सौंपना होगा।
वर्तमान मामले में, यह तीन महीने की अवधि उस समय समाप्त हो गई थी जब याचिका पर बहस चल रही थी। हालांकि, अधिकारियों ने इस तथ्य को देखते हुए कार्रवाई करना बंद कर दिया था कि याचिका लंबित थी।
कुंभकोनी और सिंह ने आशंका जताई कि कंपनी इसे अधिकारियों के खिलाफ एक तर्क के रूप में यह कहने के लिए इस्तेमाल कर सकती है कि अधिकारियों द्वारा भूमि पर कब्जा करने का कोई प्रयास नहीं किया गया था।
गोदरेज-बॉयस की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नवरोज सीरवई ने अदालत को आश्वासन दिया कि इस तरह की कोई दलील नहीं दी जाएगी।
तदनुसार, याचिका सुरक्षित रखी गई थी।
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