कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय द्वारा सोमवार को अदालत की अवमानना के आरोप में एक वकील को अदालत कक्ष से हिरासत में लेने का निर्देश देने के बाद, कलकत्ता उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन ने सर्वसम्मति से संकल्प लिया है और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय से सभी न्यायिक कार्य वापस लेने का अनुरोध किया है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनानम को संबोधित एक पत्र में बार एसोसिएशन ने कहा कि उसने वकील प्रोसेनजीत मुखर्जी के घोर अपमान के बाद इस संबंध में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया है।
बार एसोसिएशन के पत्र में कहा गया है, "न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने 18.12.2023 को एक मामले की सुनवाई के दौरान श्री प्रोसेनजीत मुखर्जी को दोषी ठहराया। वकील ने आपराधिक अवमानना का दोषी मानते हुए उसे खुली अदालत में निर्वस्त्र कर दिया और कोर्ट रूम से हाई कोर्ट के गलियारे से होते हुए शेरिफ की हिरासत में सिविल जेल भेज दिया। इसका स्पष्ट कारण यह है कि माननीय डिवीजन बेंच के एक आदेश को दिखाते हुए श्री मुखर्जी के विलंबकर्ता ने उनके आधिपत्य के अनुसार, जो कि उनके आधिपत्य के आदेश को संशोधित किया था, अनुचित और अवमाननापूर्ण था। बिना किसी आदेश के भी अधिवक्ता श्री मुखर्जी को सुनवाई का अवसर दिये बिना कोर्ट रूम से हिरासत में ले लिया गया।"
एसोसिएशन ने यह भी संकल्प लिया है कि कोई भी सदस्य न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की अदालत में तब तक कदम नहीं उठाएगा जब तक कि वह माफी नहीं मांगते।
इसी तरह की एक घटना 30 नवंबर, 2023 को भी हुई थी, जब न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने बार काउंसिल ऑफ पश्चिम बंगाल को स्थगन की मांग करने वाले एक वकील के खिलाफ कदम उठाने का निर्देश दिया था। हालांकि, बाद में उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।
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