इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने नकली करेंसी का धंधा करने के एक आरोपी को अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुये कहा कि इस तरह का अपराध देश की अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त कर सकता है।
अग्रिम जमानत की अर्जी दायर करने वाले समीन खान नाम के व्यक्ति पर भारतीय दंड संहिता की धारा 489ए, 489बी, 489सी और 489डी में उल्लिखित नकली मुद्रा के अपराध का आरोप है।
न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने हाल ही में आरोपी का आवेदन खारिज करते हुये कहा कि अग्रिम जमानत का मामला नहीं बनता है।
‘‘ प्राथमिकी के अवलोकन से पता चलता है कि आवेदक द्वारा किया गया कथित अपराध आर्थिक अपराध है जो देश की अर्थव्यवस्था अस्त व्यस्त कर सकता है। इसलिए आरोपी द्वारा अन्य सह-आरोपी के साथ किया गया यह कथित अपराध समाज के प्रति अपराध है।’’इलाहाबाद उच्च न्यायालय
न्यायालय ने आवेदन खारिज करते हुये इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि उप्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने अग्रिम जमानत की इस अर्जी का पुरजोर विरोध किया है।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें