कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को सुप्रीम कोर्ट द्वारा शुक्रवार सुबह अंतरिम जमानत देने के आदेश के अनुपालन में शनिवार देर रात इंदौर जेल से रिहा कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश के अधिकारियों को कॉल क़िया गया और निर्देशित किया कि शीर्ष अदालत के 5 फरवरी के आदेश का अनुपालन किया जाये, जिससे उन्हें जमानत दी गयी।
मध्य प्रदेश में जेल प्रशासन ने शुरू में उत्तर प्रदेश में फारुकी के खिलाफ दर्ज एक एफआईआर के संबंध में स्पष्टता की कमी का हवाला देते हुए फारुकी को रिहा करने से इनकार कर दिया था।
एमपी के जेल अधिकारियों ने शुरू में कहा था कि उन्हें उत्तर प्रदेश में फारुकी के खिलाफ एफआईआर के संबंध में यूपी की संबंधित अदालत से कोई संचार नहीं मिला है।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, इंदौर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को शनिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट के जज के निर्देश पर अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश की जाँच करने और उसे रिहा करने का निर्देश मिला।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि इंदौर सेंट्रल जेल के अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश की जांच करने और आदेश के अनुपालन में फारुकी को रिहा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से फोन आया।
फारुकी को 1 जनवरी को मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा उन आरोपों पर गिरफ्तार किया गया था, जिन्होंने हाल ही में एक स्टैंड-अप शो के दौरान हिंदू देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। इस आशय की एक शिकायत कथित तौर पर हिंदुत्व संगठन हिंद रक्षक संगठन के प्रमुख एकलव्य सिंह गौर ने दर्ज की थी।
फारुकी की जमानत याचिका को पहले एक सत्र न्यायालय और उसके बाद 28 जनवरी को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था ।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अंतरिम जमानत दे दी और एक अलग मामले में फारुकी के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस के प्रोडक्शन वारंट पर भी रोक लगा दी।
उच्चतम न्यायालय द्वारा अर्नेश कुमार बनाम बिहार राज्य में अपने 2014 के फैसले में निर्धारित कानून का पालन नहीं किया गया था और दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41 के तहत प्रक्रिया का अनुपालन नहीं किया गया था, पर अवलोकन करते हुए कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।
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