वाराणसी की अदालत चल रहे काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले पर उनकी टिप्पणी के लिए हाल ही में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ पहली सूचना रिपोर्ट दर्ज करने की मांग वाली एक पुनरीक्षण याचिका में नोटिस जारी किया।
अधिवक्ता हरि शंकर पांडे द्वारा दायर एक पूर्व याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि नेताओं के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है।
पांडे ने बाद में इस आदेश के खिलाफ एक पुनरीक्षण याचिका दायर की।
धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में ओवैसी और यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की प्रारंभिक याचिका को पिछले साल 15 नवंबर को स्वीकार किया गया था।
अदालत ने 31 जनवरी को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था और पिछले महीने याचिका खारिज कर दी थी।
याचिका में दावा किया गया है कि दोनों नेता ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर कथित तौर पर मिले 'शिव लिंग' के बारे में अपनी विवादास्पद टिप्पणियों के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत कर वाराणसी के माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
पांडेय ने तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले पर कोई टिप्पणी नहीं किए जाने के बावजूद ये नेता वोट के लिए लोगों की भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.
दलील में आगे कहा गया है कि नेताओं ने शिव लिंग पर अपनी 'आपत्तिजनक टिप्पणी' से हिंदुओं की 'भावनाओं को ठेस' पहुंचाई है।