राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के वितरण के सहायक वाइस प्रेसीडेन्ट घनश्याम सिंह को कथित रूप से झूठे मामले में फंसाने और हिरासत में यातना दिये जाने की शिकायत पर महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी किया है। घनश्याम सिंह को टीआरपी घोटाला के सिलसिले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था।
रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रधान संपादक और प्रबंध निदेशक अर्नब गोस्वामी की शिकायत पर कार्रवाई करते हुये एनएचआरसी ने कहा,
‘‘प्रमुख मीडिया घराने (रिपब्लिक टीवी नेटवर्क) के पदाधिकारी को शारीरिक यातना देने, झूठा फंसाने और मानसिक उत्पीड़न के आरोप हैं जिसे भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।’’
एनएचआरसी ने महाराष्ट्र के महानिदेशक/महानिरीक्षक, कारागार को भी नोटिस जारी किया। आयोग ने घनश्याम सिंह के जेल पहुंचने के समय उनके स्वास्थ्य की जांच की प्रारंभिक रिपोर्ट और हिरासत के दौरान उनके इलाज का रिकार्ड भी चार सप्ताह के भीतर पेश करने का निर्देश दिया है।
गोस्वामी ने अपनी शिकायत में एनएचआरसी से इस मामले मे यथाशीघ्र हस्तक्षेप करने का अनुरोध करते हुये आरोप लगाया है कि जेल में घनश्याम सिंह के मानव अधिकारों का हनन किया गया।
इन आरोपों की पृष्ठभूमि में गोस्वामी ने मानव अधिकार आयोग से अनुरोध किया है कि उन न्यूज एजेन्सियों के सदस्यों को संरक्षण प्रदान किया जाये जिनके सदस्यों को टीआरपी घोटाले की जांच के दौरान हिरासत में मुंबई पुलिस ने कथित रूप से यातनायें दी हैं।
घनश्याम सिंह को टीआरपी घोटाला मामले के संबंध में 10 नवंबर, 2020 मनमाने तरीके से उनके घर से पुलिस ने उठा लिया था जबकि प्राथमिकी में न तो उनका नाम है और न ही रिपब्लिक टीवी नेटवर्क का नाम है। सिंह को मुंबई की सत्र अदालत ने पांच दिसंबर, 2020 को जमानत दी।
एनएचआरसी में की गयी शिकायत के अनुसार सिंह के साथ उस समय जबर्दस्त मानसिक क्रूरता का व्यवहार किया गया जब उन्होंने पुलिस की पूर्व निर्धारित कहानी का अनुपालन करने से इंकार कर दिया।
शिकायत में यह भी कहा गया है, ‘‘ उन्हें यातना देने वाले उपकरणों से भरे एक कमरे में ले जाया गया जहां उनकी चक्की बेल्ट से बुरी तरह पिटाई की गयी, उन्हें अपने हाथ आगे बढ़ाने के लिये बाध्य किया गया और फिर दोनों हाथों पर मोटी चक्की बेल्ट बार बार मारी की गयी।’’
शिकायत में यह आरोप भी लगाया गया है कि पुलिस का एक वरिष्ठ अधिकारी सिंह को अपने और अपने संगठन के खिलाफ झूठे बयान देने के लिये दबाव डालते हुये उन्हें शारीरिक यातनायें देने का निर्देश दे रहा था।
शिकायत के अनुसार, ‘‘रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के खिलाफ कुछ न कुछ मामला बनाने और जांच को पहले से ही निर्धारित रूप देने के प्रयास में सारी प्रक्रिया को दरकिनार करके यातनायें देने के तरीके अपनाये जा रहे हैं।’’
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