उड़ीसा उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य सरकार से अनुरोध किया कि वह कोविड-19 की स्थिति का आकलन करके चरणबद्ध तरीके से मंदिरों को पुन: खोलने पर विचार करे।
न्यायालय उस याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमे कोविड-19 लॉकडाउन की अवधि के लिये पंजीकृत मंदिरों के सेवायत-सेवकों को आर्थिक सहायता देने का राज्य सरकार को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायमूर्ति डा बीआर सारंगी की पीठ ने यह सुझाव वैकल्पिक उपाय के रूप में दिया है जिसे राज्य सरकार लागू कर सकती है।
"पीठ ने अपने आदेश में कहा कि हम दूसरे पक्ष-राज्य सरकार और अक्षयनिधि आयुक्त को निर्देश देते हैं कि वे इस न्यायालय के पहले के आदेशों के अनुसार अपने आकलन और निर्णित तरीके के आधार पर मंदिरों को चरणबद्ध तरीके से खोलने के बारे में सोचे।"
याचिकाकर्ताओं ने जगन्नाथ मंदिर के पुजारियों को उपलब्ध कराई गयी राहत की तर्ज पर ही उन्हें आर्थिक सहायता और राशन दिलाने का अनुरोध किया है।
याचिका में अपने अनुरोध के समर्थन में कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले का भी उल्लेख किया गया जिसमे राज्य सरकार को आदेश दिया गया था कि वह कर्नाटक में सी-श्रेणी के मंदिरों के सेवकों की मदद करे और उन्हें आर्थिक सहायता और राशन सामग्री उपलब्ध कराये।
इसके अलावा, याचिकाकर्ताओं ने न्यायालय से कहा है कि राज्य सरकार निशिकांत दुबे बनाम केन्द्र सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुरूप धार्मिक स्थलों में सीमित संख्या में दर्शन और पूजा स्थलों में सीमित संख्या में लोगों को प्रवेश की अनुमति देने के बारे में रणनीति तैयार कर सकती है।
राज्य सरकार ने दलील दी कि उसने जगन्नाथ मंदिर के सेवायतों को कभी भी आर्थिक सहायता नहीं दी है, यद्यपि सेवायत परिवारों के प्रमुखों को 5,000 रूपए दिये गये थे जो मई, जून, जुलाई और अगस्त के लिये बीमा योजना के दायरे में थे।
सरकार ने कहा कि सेवायतों को सहायता देने से संविधान के अनुच्छेद 27 का उल्लंघन होगा।
न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं द्वारा अपने प्रतिवेदन में व्यक्त समस्याओं पर गोर करने का निर्देश देते हुये सेवायतों-सेवकों को राशन तथा आर्थिक सहायता देने के बारे में अंतिम निर्णय सरकार पर छोड़ दिया।
न्यायालय ने वैकल्पिक उपाय के रूप में सरकार से कहा कि अगर उसे व्यावहारिक लगे तो मंदिरों को चरणबद्ध तरीके से पुन: खोलने की संभावना पर विचार करे।
न्यायालय ने कहा कि इस आदेश के आठ सप्ताह के भीतर यह कवायद पूरी की जाये।
इन निर्देशों के साथ न्यायालय ने याचिका का निस्तारण कर दिया।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने बृहस्पतिवार को रिपोर्ट किया था कि मुख्य सचिव ने धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने की कार्य योजना पेश करने के लिये राज्य के सभी जिला कलेक्टरों को निर्देश दिया है।
ओडीशा सरकार ने हाल ही में राज्य में सभी धार्मिक स्थलों को बंद रखने की अवधि 31 अक्टूबर तक बढ़ा दी थी।
उच्च न्यायालय में दायर याचिका में वरिष्ठ अधिवक्तता एल पंगारी ने याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व किया जबकि सरकार की ओर से अतिरिक्त सरकारी वकील एस पालित ने बहस की।
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