कर्नाटक उच्च न्यायालय ने आज राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह अपने स्वयं के दिशानिर्देशों को "स्पष्ट रूप से लागू" करे कि कोविड़-19 संकट के बीच 20 से अधिक व्यक्तियों को शवों के दफन / दाह संस्कार में शामिल होने की अनुमति नहीं है।
यह निर्देश अस्पतालों में कोविड़-19 रोगियों के लिए चिकित्सा सुविधाओं की कमी को रेखांकित करने वाली दो पत्र याचिकाओं और संबंधित मामलों में आया था।
आज, मुख्य न्यायाधीश अभय श्रीनिवास ओका और न्यायमूर्ति अरुण कुमार की खंडपीठ ने अवगत कराया कि राज्य सरकार ने 6 अगस्त को शवों के प्रबंधन के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए थे।
संशोधित दिशा-निर्देशों में यह समाविष्ट है कि किसी भी अनुष्ठान को जिसमें किसी शव को छूने की आवश्यकता होती है, निषिद्ध है, और यह कि 20 से अधिक लोगों को शवों के दफन / दाह संस्कार में शामिल होने की अनुमति नहीं होगी।
वर्तमान मुद्दे पर, कोर्ट ने कहा,
"राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उक्त उपधारा को लागू किया जाए क्योंकि आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत एक दिशा निर्देश जारी किया गया है, जो यह कहता है कि 20 से अधिक व्यक्ति दाह संस्कार या दफन में शामिल नहीं हो सकते हैं। इस प्रावधान के उल्लंघन से कई अन्य प्रावधानों का उल्लंघन होगा। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि उक्त दिशा को स्पष्ट रूप से लागू किया जाए। ”कर्नाटक उच्च न्यायालय
सुनवाई के दौरान, एडवोकेट जीआर मोहन ने कोर्ट को बताया कि एक कोविड़-19 संक्रमित व्यक्ति के शरीर को संरक्षित करना महत्वपूर्ण है। आगे उनके द्वारा कहा गया कि कुछ अस्पतालों मे तो शवग्रह भी नहीं हैं।
प्रतिक्रिया में, कोर्ट ने कहा,
"अगर आप यह आरोप लगा रहे हैं कि कुछ अस्पताल जो कोविड़-19 रोगियों का इलाज कर रहे हैं, उनके पास शवग्रह नहीं है, तो आप इसे रिकॉर्ड पर रखें।"
इसके अलावा, ब्रुहट बेंगलुरु महानगर पालिका (बीबीएमपी) ने कोर्ट को बताया किया कि बीबीएमपी की सीमा के साथ काम करने वाले उसके 567 पौरकारमिक्स (स्वच्छता कार्यकर्ता) का परीक्षण पॉज़िटिव पाया है। इस मुद्दे पर, कोर्ट ने बीबीएमपी को निम्नलिखित स्पष्ट करने के लिए कहा है:
लक्षणयुक्त और लक्षणहीन मामलों का द्विभाजन।
क्या उन सभी पौरकारमिक्स जिनका कोविड़-19 पॉज़िटिव पाया गया, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है या कोविड़ केयर केंद्र में रखा गया है।
इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा,
"हम आशा करते हैं और विश्वास करते हैं कि पहले दिए गए आश्वासन के अनुसार, सभी [पौराकर्मिक्स] को नियमित वेतन दिया जाता है।"
मामले को 13 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।
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