दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। (डॉ. प्रसनंशु बनाम वीसी एनएलयूडी चयन समिति)।
जस्टिस ज्योति सिंह की एकल न्यायधीश पीठ ने एनएलयू दिल्ली के फैकल्टी मेंबर डॉ. प्रसन्नांशु द्वारा प्रस्तुत याचिका को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता एक एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में 2009 में एनएलयू दिल्ली में शामिल हुए थे और जुलाई 2015 में प्रोफेसर के पद पर पदोन्नत किया गए थे।
निश्चित रूप से उन्होंने कुलपति के पद के आवेदन के लिए अपेक्षित विज्ञापन में निहित पात्रता की सभी शर्तों को पूरा करते हुए याचिकाकर्ता ने उक्त पद के लिए आवेदन किया।
यह उनकी शिकायत थी कि पात्रता आवश्यकताओं को पूरा करने और शानदार अकादमिक रिकॉर्ड होने के बावजूद, उन्हें फरवरी 2020 में आयोजित साक्षात्कार दौर के लिए नहीं बुलाया गया था और इसका कोई कारण नहीं बताया गया था।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि चयन समिति द्वारा साक्षात्कार मे उन्हे नहीं बुलाने का निर्णय अवैध रूप से गैरकानूनी, मनमाना, अनुचित और बुद्धिमान अंतरंग के सिद्धांत के खिलाफ था।
याचिका का विरोध करते हुए, एनएलयू दिल्ली ने तर्क दिया था कि याचिकाकर्ता पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करता है जैसा कि कुलपति के पद के लिए आवेदन मांगने वाले विज्ञापन में परिभाषित किया गया है।
याचिकाकर्ता के लिए एडवोकेट करण सुनेजा के साथ वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव बंसल उपस्थित हुए।
एनएलयू दिल्ली का प्रतिनिधित्व एडवोकेट राजशेखर राव, संजय वशिष्ठ, एसडी शर्मा, आनंद वेंकटरमनी, अरीब अमानुल्लाह ने किया।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
Delhi HC dismisses plea filed by NLU Delhi Professor challenging Vice-Chancellor appointment process