दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय से कहा है कि छात्रों की उत्तर पुस्तिका रखने की अगर उसकी कोई नीति है तो उसे पेश किया जाये।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने यह आदेश इस साल आनलाइन ओपेन बुक एग्जामिनेशन आयोजन के खिलाफ छात्रों की याचिका पर यह आदेश दिया।
इस साल के प्रारंभ में ओपन बुक एगजामिनेशन कराने के दिल्ली विश्वविद्यालय के निर्णय को अपनी स्वीकृति देते हुये न्यायालय ने डाटा की निजता और संरक्षित डाटा न्याय के लिये उपलब्ध कराने जैसे कानूनी मुद्दे छोड़ दिये थे।
इस मामले में तीन मुद्दों पर निर्णय के लिये न्यायालय ने सोमवार को दिल्ली विश्वविद्यालय को ऑनलाइन ओबीईके लिये क्लाउड सेवा प्रदाता के साथ करार पेश करने का निर्देश दिया।
उत्तर पुस्तिका सहित परीक्षा की सारी प्रक्रिया से संबंधित डाटा का भंडार करने के लिये इस सेवा प्रदाता की सेवायें ली गयीं थीं।
इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक दिल्ली विश्वविद्यालय परोक्ष और इलेक्ट्रानिक माध्यम में उत्तर पुस्तिकाओं को रखने के संबंध में अपनी नीति, अगर कोई है, रिकार्ड पर पेश करे।दिल्ली उच्च न्यायालय ने आगे कहा।
न्यायालय ने छात्रों द्वारा की गयी आपत्तियों के संबंध मे शिकायत समाधान अधिकारी द्वारा की गयी तमाम कार्रवाई के बारे में दिल्ली विश्वविद्यालय का हलफनामा रिकार्ड पर लिया ।
हाल ही में, दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सुचारू तरीके से ओबीई के आयोजन की कार्यवाही का पटाक्षेप कर दिया था।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने एक समय सीमा निर्धारित कर दी जिसके अनुरूप ही दिल्ली विश्वविद्यालय को परीक्षाओं के परिणाम घोषित किये जायेंगे।
अधिवक्ता आकाश सिन्हा, कनिका रॉय, इन्द्रजीत सिंह याचिकाकर्ता छात्रों के लिये पेश हुये जबकि अधिवक्ता शिवशंकर शर्मा इस मामले में हस्तक्षेप करने वाले छात्र की ओर से पेश हुये।
दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता मोहिन्दर जे एस रूपल और हार्दिक रूपल ने किया।
आदेश पढ़ें:
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Delhi HC asks DU to place on record its policy on retention of answer scripts of students